चांदनी में नहाए हुस्न-ए-ताज का दीदार होगा आसान
मेहताब बाग से होगा ताज के धवल हुस्न का दीदार, नवंबर से हो सकती है शुरुआत, प्लेटफॉर्म बनकर तैयार ...और पढ़ें

आगरा (निर्लोष कुमार)। यमुना के उस पार, ताज के ठीक पीछे, जहां से खुद शाहजहां ताज का दीदार किया करते थे। चांदनी रात में ताजमहल का संगमरमरी हुस्न जहां से उन्हें सबसे दिलकश लगता था। ताज की परछाई को जहां वह काले संगमरमर में गढ़ देना चाहते थे। जहां वह एक और ताज बनाना चाहते थे। जो शायद उनका मकबरा होता। शाहजहां की ये हसरतें अधूरी ही रह गईं। लेकिन, यही उस जगह के मायने हैं, जिसे मेहताब बाग कहते हैं। मेहताब यानी चांद। चांदनी में नहाए ताज के हुस्न का दीदार दुनियाभर के ताज प्रेमी अब यहां से सुकून के साथ कर सकेंगे। नवंबर से इसकी नई शुरुआत होने जा रही है।
बनाया गया प्लेटफॉर्म : मेहताब बाग की दक्षिणी दीवार से पांच मीटर की दूरी पर, यमुना की तलहटी में सात मीटर चौड़ा और 30 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म बनाया गया है। दिसंबर 2016 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने इसे पूर्णता दे दी थी। अब नवंबर से इसे उपयोग में लाया जाएगा। जिससे अधिक संख्या में सैलानी चांदनी में नहाए ताज का दीदार आसानी से सकेंगे।
क्यों है डिमांड : सफेद संगमरमर से गढ़ी दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत का वास्तुशिल्प ही कुछ इस तरह से नियोजित किया गया है कि एक खास दूरी से और खासतौर पर चांदनी में इसके दिलकश हुस्न का असल दीदार होता है। माना जाता है कि मेहताब बाग ही वह खास जगह है। यह जगह ताज के मूल वास्तु का हिस्सा थी। लेकिन योजना अधूरी रह गई। एएसआइ ने इसी जगह पर अष्टकोणीय तालाबनुमा टैंक खोजा। चांदनी रात में ताज का खूबसूरत अक्स इसमें दिखाई देता था।
अधूरी हसरत : कुछ विदेशी पुरातत्वविदों ने दावा किया था कि दरअसल शाहजहां मेहताब बाग में काले संगमरमर का एक और ताज बनवाना चाहते थे। सत्रहवीं सदी में भारत आए फ्रेंच यात्री जीन बेपटिस्ट र्टेवनियर ने उल्लेख किया था कि मेहताब बाग में काले संगमरमर का ताज बनाया जाना था। 1871 में ब्रिटिश पुरातत्वविद एसीएल कार्लाइल ने दावा किया कि उन्होंने मेहताब बाग में काले संगमरमर से बनी उस बुनियाद के अवशेषों को खोज निकाला, जिस पर काले संगमरमर का ताज बनाया जाना था।
एएसआइ ने इन सभी तथ्यों की पुष्टि तो नहीं की, लेकिन 2009 में एएसआइ द्वारा प्रकाशित डब्ल्यू.एच. सिद्दीकी की किताब ‘ताजमहल, द वल्र्ड हेरिटेज सीरीज’ में पुष्टि की गई कि ताज मसजिद की लाल पत्थरों से बनी दीवारों पर कुछ ऐसे चित्र मौजूद हैं, जिनमें आमने-सामने बने दो ताजमहलों का चित्रण है। यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि मेहताब बाग दरअसल शाहजहां की ताजमहल परियोजना का अधूरा हिस्सा है।
अब होगी पूरी
तथ्य चाहे जो हों, लेकिन इतना तो तय है कि दुनियाभर से आने वाले ताजप्रेमी ख्वाहिश रखते हैं कि चांदनी में नहाए हुस्न-ए-ताज का दीदार वे मेहताब बाग से कर सकें, तो हसरत पूरी हो जाए। फिलहाल माह में केवल पांच दिन, पूर्णिमा से दो दिन पहले और दो दिन बाद तक ही ताज के रात्रि दर्शन की व्यवस्था है। लेकिन एक रात में
अधिकतम 400 सैलानी, 50-50 के आठ बैच में स्मारक में प्रवेश पाते हैं। टिकट भी एक दिन पहले ही खरीदना
पड़ती है। इसकेचलते बहुत से सैलानी ताज के रात्रि दर्शन से महरूम रह जाते हैं। मेहताब बाग में बनाए गए प्लेटफॉर्म से यह समस्या खत्म हो जाएगी। हालांकि पर्यटन विभाग को अभी यहां विभिन्न पर्यटक सुविधाएं विकसित करनी हैं।

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