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    तंगहाल किसानों को राहत पहुंचाएगा ये सोलर पैनल

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Thu, 28 Sep 2017 08:27 AM (IST)

    नोएडा स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार इस सोलर पैनल को एग्री वोल्टिक नाम दिया गया है। इसके उपयोग से किसान को हर माह आठ से दस हजार रुपए की निश्चित आमदनी होगी।

    तंगहाल किसानों को राहत पहुंचाएगा ये सोलर पैनल

    नोएडा (प्रभात उपाध्याय)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सोलर पैनल विकसित किया है, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ ही किसानों को आर्थिक राहत भी पहुंचाएगा। नोएडा स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार इस सोलर पैनल को एग्री वोल्टिक नाम दिया गया है। इसके उपयोग से किसान को हर माह आठ से दस हजार रुपए की निश्चित आमदनी होगी।

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    ऐसे करता है काम : एग्री वोल्टिक दरअसल कुल 40 सोलर पैनल का सेट है जिनकी क्षमता 10 किलोवाट की है। हर पैनल के बीच करीब 15 फीट की दूरी रखी गई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि 10 किलोवाट से हर दिन 45-50 यूनिट बिजली पैदा की जा सकती है। किसान सूखे के दौरान सोलर वाटर पंप लगाकर इस बिजली से खेतों की सिंचाई तो कर ही सकते हैं। अगर किसी कारण से पैदावार अच्छी नहीं रही तो नेट मीटरिंग के जरिये बिजली बेच भी सकते हैं।

    ऐसे आया आइडिया : एग्री वोल्टिक को एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ रिन्यूएबल एंड अल्टरनेटिव एनर्जी के प्रोफेसर डॉ. वीके जैन और उनकी टीम ने विकसित किया है। डॉ. वीके जैन कहते हैं कि भारत में करीब 80 फीसद किसान ऐसे हैं, जिनके पास आधे एकड़ से भी कम जमीन है और वे अक्सर आर्थिक तंगी का सामना करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एग्री वोल्टिक को डेवलप करने का आइडिया आया था। हमने केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) को प्रोजेक्ट सौंपा था। उन्हें यह काफी पसंद आया और इस पर काम करने को कहा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इसकी सराहना की है। जल्द ही यह बाजार में आएगा, लेकिन महंगा होने के कारण सरकार से इसे सब्सिडी पर उपलब्ध कराने को एक सुझाव भेजा है।

    फसल पर नहीं पड़ेगा असर
    यह धारणा है कि जहां सोलर पैनल लगाया जाता है, उसके नीचे जमीन पर छाया की वजह से अच्छी पैदावार नहीं होती है, लेकिन एग्री वोल्टिक के सोलर शेड मूवेबल हैं। हर दस मिनट में शेड मूव करता रहता है। इससे एक जगह लगातार छाया नहीं रहती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं, मक्का, बैंगन और कुछ सब्जियों पर परीक्षण भी कर लिया गया है। जिस पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है।

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