स्वस्थ शरीर और खिलखिलाती जिंदगी देने का है सपना
वे जगह-जगह जाकर लोगों को मुफ्त योग सिखाने के साथ ही कई असाध्य रोगों की अचूक दवा भी देते और बताते हैं।
जासं (गाजीपुर)। खुद के लिए जीना भी क्या जीना, जो औरों के लिए यदि न जीए वह जीवन कोई काम का नहीं। खुटहीं गांव निवासी शिक्षक अवधनारायण सिंह उन विरले लोगों में से एक हैं जिनका जीवन औरों के लिए समर्पित है। स्वस्थ्य समाज के सपने को वह बुन रहे है। लोग निरोग रहें, उनका शरीर और मन खिलखिलाता रहे। ज्यादा इससे की न चाह रही, न सपना। दरअसल, कई वर्षों से पेट दर्द से जूझ रहे अवधनारायण को जब कई जगह से निराशा हाथ लगी तो उन्होंने योग का सहारा लिया। दवा का साथ, योग का हाथ असर यह हुआ कि कुछ समय में उन्हें राहत फिर धीरे-धीरे रोग से निजात मिल गया। इसके बाद तो उनकी सोच बदल गई, नजरिया बदल गया। वे जगह-जगह जाकर लोगों को मुफ्त योग सिखाने के साथ ही कई असाध्य रोगों की अचूक दवा भी देते और बताते हैं। खास यह कि इसके एवज में उन्हें किसी चीज की चाहत नहीं होती। उनके इस प्रयास से अब तक बहुत से लोग रोगमुक्त हो चुके हैं।
परिस्थिति ने सीखा दिया : 61 वर्षीय अवधनारायण सिंह आजमगढ़ के तरवां स्थित सीबी इंटर कालेज में बतौर शिक्षक तैनात हैं। 12 वर्ष पहले वे पेट रोग से ग्रसित रहते थे। पेट में असहनीय दर्द होने से वह चिल्ला उठते थे। निजात के लिए वे कई चिकित्सकों की शरण में गए और दवा ली लेकिन राहत नहीं मिली। गोरखपुर स्थित प्राकृतिक चिकित्सालय भी उनके पीड़ा को दूर नहीं कर सका। तब वे हताश हो गए और नियति मानकर दर्द भरा जीवन जीने लगे। 2004 में अनुज उदयनरायन सिंह ने इलाज के साथ योग की सलाह दी। वर्ष 2005 में लखनऊ स्थिति अंबेडकर पार्क में बाबा रामदेव ने सात दिवसीय योग शिविर लगाया।
-समाज रहे निरोग यही है खुटहीं गांव निवासी शिक्षक अवधनरायण के जीवन का लक्ष्य
-समाज में सभी के लिए बेहतर हेल्थ के बुन रहे हैं सपने
-मुफ्त योग सिखाने के साथ ही कई असाध्य रोगों की अचूक दवा भी देते हैं
मैं अपनी छोटी बहन के साथ कई जगहों पर जाकर योग प्रशिक्षण देता हूं। अब तक अपने कर्मभूमि आजमगढ़, पैतृक जिला गाजीपुर के अलावा बलिया, जौनपुर समेत कई जगहों पर जाकर सैकड़ों बार मुफ्त योग प्रशिक्षण दे चुका हूं। कोई भी असाध्य रोग हो वह निश्चित तौर पर प्राकृतिक चीजों के सेवन से सही हो सकता है। व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन नियम से योग, प्राणायाम करना चाहिए।- अवधनारायण सिंह।
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