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    एम्स व सफदरजंग अस्पताल के बाहर बीमारियों को दावत

    देश के दो बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के बाहर स्वच्छ भारत अभियान का असर नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि दोनों अस्पतालों के बाहर जहां गंदगी व कूड़े का ढ़ेर पसरा है वहीं खाने का सामान बेचा जा रहा है। यही नहीं डॉक्टर व स्वास्थ्य विभाग लोगों को तंबाकू से बचने की सलाह

    By anand rajEdited By: Updated: Tue, 07 Oct 2014 08:36 AM (IST)

    नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। देश के दो बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के बाहर स्वच्छ भारत अभियान का असर नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि दोनों अस्पतालों के बाहर जहां गंदगी व कूड़े का ढ़ेर पसरा है वहीं खाने का सामान बेचा जा रहा है। यही नहीं डॉक्टर व स्वास्थ्य विभाग लोगों को तंबाकू से बचने की सलाह देते हैं, जबकि अस्पताल के बाहर ही कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी फैलाने वाले तंबाकू की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।

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    एम्स व सफदरजंग अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वह नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) से शिकायत कर चुके हैं। फिर भी कार्रवाई नहीं हुई है। अब जब सफाई अभियान पूरे देश में चल रहा है तो सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मामले की शिकायत की है। एम्स व सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर भी मानते हैं कि अस्पतालों के बाहर इस तरह से खुले में खाने का सामान बिकना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है। क्योंकि अस्पताल में मरीजों का इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले तीमारदार वहीं से खाना खाते हैं और कई बार मरीजों को भी खिलाते देते हैं, जिससे संक्रमण होने का खतरा रहता है। सफदरजंग अस्पताल के इमरजेंसी व बर्न विभाग के प्रवेश द्वारा के पास खाने-पीने की चीजें बिकती हैं। जो बीमारियों को दावत दे रही हैं। इन जगहों पर तंबाकू व पान मसाला भी खुलेआम बिक रहा है। यही हाल एम्स के बाहर का है। एम्स के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर खाने की चीजें बिकती हैं।

    सफदरजंग अस्पताल के बाहर पटरी पर कारोबार करने के लिए कई लोगों को एनडीएमसी ने लाइसेंस दिया है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन अपनी स्तर से कार्रवाई नहीं कर पाता। गौरतलब है कि देश में लंग कैंसर व मुंह के कैंसर के मरीज ज्यादा हैं। ज्यादातर लोगों को यह कैंसर तंबाकू व गुटखे के सेवन से होता है। ऐसे में अस्पतालों के बाहर तंबाकू व गुटखा बिकना गंभीर सवाल खड़े करता है।

    एनडीएमसी ने कार्रवाई शुरू की तो कारोबारी हाई कोर्ट चले गए। कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगा दी और एनडीएमसी को निर्देश दिया कि उन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित करें। ऐसा अब तक नहीं हो सका। शनिवार को यह मसला डॉ. हर्षवर्धन के समक्ष भी रखा गया। उन्होंने मामले के जल्द निबटारे का निर्देश दिया है।

    -डॉ. राजपाल, चिकित्सा अधीक्षक, सफदरजंग अस्पताल

    दिल्ली सरकार द्वारा टाउन वेंडिंग कमेटी गठित की जानी है। क्योंकि तहबाजारी पर कारोबारियों को जगह देने का फैसला कमेटी को करना है। हम कमेटी गठित होने का इंतजार कर रहे हैं।

    -जलज श्रीवास्तव, चेयरमैन, एनडीएमसी।

    एम्स के बाहर रोज ऐसे ही कूड़े का ढेर लगा रहता है। अस्पतालों के बाहर खुले में सामान नहीं बिकना चाहिए। इसके लिए एनडीएमसी से कार्रवाई के लिए कहा गया है।

    -डॉ. अमित गुप्ता, एम्स, नई दिल्ली।

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