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    लोकसभा चुनाव लड़ने का मन नहीं बना पा रही मनसे

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    Updated: Tue, 04 Mar 2014 07:48 AM (IST)

    महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अभी यह तय नहीं कर पाई है कि वह लोकसभा चुनाव लड़े भी या नहीं। पिछले लोकसभा चुनाव में उसके कारण सेना-भाजपा गठबंधन को नौ सीटों पर मुंह की खानी पड़ी थी। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से राज का झगड़ा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की राह

    मुंबई, [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अभी यह तय नहीं कर पाई है कि वह लोकसभा चुनाव लड़े भी या नहीं। पिछले लोकसभा चुनाव में उसके कारण सेना-भाजपा गठबंधन को नौ सीटों पर मुंह की खानी पड़ी थी। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से राज का झगड़ा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की राह में रोड़ा नहीं बने इसलिए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने सोमवार को राज ठाकरे से मुलाकात की।

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    मनसे सूत्रों के अनुसार कुछ सप्ताह पहले राज ठाकरे ने अपने पार्टी पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर रायशुमारी की थी। अधिकतर पदाधिकारियों ने चुनाव लड़ने के पक्ष में राय जाहिर की थी। इसके बावजूद अब तक न तो राज की तरफ से कोई निर्णय लिया गया है, न ही किसी पदाधिकारी या संभावित उममीदवार को चुनावी तैयारी करने का संकेत दिया गया है। इससे माना जा रहा है कि राज ठाकरे अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के अड़ियल रुख के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उममीदवार नरेंद्र मोदी की राह का रोड़ा नहीं बनना चाहते। बताया जाता है कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी राज से बार-बार मुलाकात कर उनके और मोदी के बीच पुल की भूमिका निभा रहे हैं। विधान परिषद चुनाव में मनसे का समर्थन लेने के बहाने ऐसी ही एक मुलाकात सोमवार को भी मुंबई के एक पांच सितारा होटल में हुई है। गौरतलब है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने मुंबई, ठाणे, नासिक और पुणे की 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। मराठी मानुष का एजेंडा लेकर लड़नेवाली इस पार्टी को सभी स्थानों पर एक लाख से ज्यादा मत हासिल हुए थे। उस समय राज्य के प्रदेश अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी स्वयं मानते हैं कि मनसे के कारण सेना-भाजपा गठबंधन को नौ सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा और राज्य की 48 में से 30 सीटें जीतने का उसका सपना धूल में मिल गया था। हालांकि इस बार मनसे का वैसा प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। इसके बावजूद यदि मनसे के कारण सेना-भाजपा गठबंधन को कुछ सीटों पर भी हार का मुंह देखना पड़ता है तो यह नुकसान नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की राह में रोड़ा बन सकता है। मोदी के विकास मॉडल के प्रशंसक रहे राज ठाकरे स्वयं भी ऐसा नहीं चाहते। इसलिए शिवसेना की ओर से लगातार उपेक्षा के बावजूद वह अभी तक लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसते नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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