एक मिनट में पढ़ें वे दो विवाद जो कराते हैं भारत-चीन में तकरार
चीन लद्दाख में 10 किलोमीटर तक घुसपैठ कर चुका है। भारत के लाख विरोध करने के बाद भी वापस जाने का नाम ही नहीं ले रहा है। चलिए हम आपको आज दो विवाद की रेखाओं के बारे में बताते हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा भारत-पाक युद्ध के बाद जम्मू कश्मीर का ढेर सारा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जिसके बाद पाकिस्तान से चीन ने इसे अपने ि
नई दिल्ली। चीन लद्दाख में 10 किलोमीटर तक घुसपैठ कर चुका है। भारत के लाख विरोध करने के बाद भी वापस जाने का नाम ही नहीं ले रहा है। चलिए हम आपको आज दो विवाद की रेखाओं के बारे में बताते हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा
भारत-पाक युद्ध के बाद जम्मू कश्मीर का ढेर सारा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जिसके बाद पाकिस्तान से चीन ने इसे अपने हिस्से में मिला लिया। इसे हम अक्साई चीन कहते हैं। करीब 4,057 किलोमीटर लंबी यह सीमा रेखा जम्मू - कश्मीर में भारत अधिकृत क्षेत्र और चीन अधिकृत क्षेत्र अक्साई चीन को अलग करती है। यह लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। यह भी एक प्रकार की सीज फायर क्षेत्र ही है। 1962 के भारत-चीन युद्घ के बाद दोनों देशों की सेनाएं जहां तैनात थी, उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया। अब आपको हम बताते हैं कि 2005 के प्रोटोकॉल में क्या प्रावधान है?
इस समझौते के अनुच्छेद 4 में दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव घटाने के तरीकों का जिक्र है। इसमें यह भी बताया गया है कि विवाद की स्थिति में दोनों सेनाएं अपने मूल स्थान पर लौट जाएंगी और तनाव कम करने की कोशिश करेंगी। इसके बाद दोनों पक्ष, अगर जरूरी हुआ तो, अपने मुख्यालय को फौरन बातचीत या कूटनयिक संपर्को के जरिए तनाव घटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सूचित करेंगे। सीमा पर तनाव की दशा में कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा। दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए रखेंगे और आगे बढ़े हुए स्थान पर कोई स्थायी चौकी नहीं बनाएगा।
नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कंट्रोल)
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा को ही नियंत्रण रेखा कहते हैं। इस क्षेत्र को सीज फायर क्षेत्र भी कहते हैं। दोनों देशों के बीच जारी तनाव की वजह यह रेखा करीब 740 किमी लंबी है। अंतराष्ट्रीय मानचित्र में यह वास्तविक सीमा रेखा नहीं है। इसीलिए इसे नियंत्रण रेखा कहते हैं। 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे की सीमा में घुस कर एक दूसरे की चौकियों पर कब्जा कर लिया था। 3 जुलाई, 1972 में शिमला समझौते के बाद नियंत्रण रेखा को बहाल किया गया। इस समझौते में दोनों देशों द्वारा आपसी वार्ता से मामले को सुलझने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी।
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