नीतीश-केजरी की दोस्ती में लालू बन सकते हैं रोड़ा
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सियासी कल-पुर्जों के ढीले पेंच कसने में जुटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्ती की गाड़ी पूर्व रेल मंत्री लालू यादव की वजह से पटरी से उतर सकती है।
अजय पांडेय, नई दिल्ली। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सियासी कल-पुर्जों के ढीले पेंच कसने में जुटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्ती की गाड़ी पूर्व रेल मंत्री लालू यादव की वजह से पटरी से उतर सकती है।
सोशल इंजीनियरिंग के चैंपियन कहे जाने वाले लालू इन दोनों इंजीनियरों के बीच दीवार बन सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर दिल्ली की हुकूमत पर काबिज होने में सफल रहे केजरीवाल के लिए लालू व जनता परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हाथ मिलाना मुश्किल है।
शायद यही वजह है कि आगामी नवंबर में होने जा रहे बिहार विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी न तो अपने बूते कोई चुनाव लड़ेगी और न ही वह किसी भी दल के साथ कोई गठबंधन करेगी। कहा यह भी जा रहा है कि केजरीवाल खुद भी बिहार चुनाव से दूर ही रहेंगे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर भाजपा के विजय रथ को रोकने पर केजरीवाल को नीतीश कुमार ने न केवल जोरदार बधाई दी, बल्कि पिछले दिनों वह खुद चलकर दिल्ली सचिवालय आए और लंच के बहाने दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे तक लंबी गुफ्तगू भी हुई।
आम आदमी पार्टी नेताओं ने इस मुलाकात को भले ही शिष्टाचार भेंट बताया हो, लेकिन सियासी गलियारों में तभी से ये अटकलें लगाई जाती रही हैं कि दोनों नेताओं के बीच बढ़ रही नजदीकियों के दूरगामी परिणाम होंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसी किसी संभावना से साफ इन्कार कर रहे हैं।
पार्टी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने कहा कि यह बात बिल्कुल ठीक है कि आम आदमी पार्टी अगले छह महीनों में पूरे देश में अपना विस्तार करेगी और जहां-जहां वह मजबूत होगी, वहां चुनाव भी लड़ेगी। लेकिन जहां तक बिहार के चुनाव का सवाल है तो अब बहुत कम समय बचा है और पार्टी वहां चुनाव लडऩे की सोच भी नहीं सकती। उन्होंने नीतीश के साथ किसी प्रकार के सहयोग की संभावना से भी इन्कार किया।
जानकारों का कहना है कि केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहे हैं। दूसरी ओर, नीतीश के नए सहयोगी बने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू चारा घोटाले के दाग से मुक्त नहीं हो पाए हैं। और तो और जिस कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में केजरीवाल लड़े, वह बिहार में नीतीश की सहयोगी है।
समझा जा रहा है कि यही वजह है कि केजरीवाल चाहकर भी खुलकर नीतीश के साथ नहीं आ रहे। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में जनता परिवार के विलय के बाद नीतीश-केजरीवाल के सियासी रिश्तों की गांठ कितनी ढीली होती है।
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