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    झारखंड मॉडल की तर्ज पर उत्तराखंड में हो सकता है फ्लोर टेस्ट

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Thu, 05 May 2016 01:02 AM (IST)

    कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर हरीश रावत को फ्लोर टेस्ट के जरिये बहुमत साबित करने का मौका दिया जाता है तो उससे पहले उनकी मुख्यमंत्री की हैसियत बहाल नहीं की जाएगी।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तराखंड में झारखंड के माडल पर कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जा सकता है। सुप्रीमकोर्ट ने गुरुवार को इस बात के संकेत दिये। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल इस बारे मे कोई आदेश पारित नहीं किया क्योंकि केंद्र सरकार ने फ्लोर टेस्ट कराने के कोर्ट के सुझाव पर गंभीरता से विचार करने की बात कहते हुए जवाब देने के लिए शुक्रवार तक का समय मांग लिया।

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    कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टालते हुए साफ किया कि अगर हरीश रावत को फ्लोर टेस्ट के जरिये बहुमत साबित करने का मौका दिया जाता है तो उससे पहले उनकी मुख्यमंत्री की हैसियत बहाल नहीं की जाएगी। इस बीच उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन कायम रहेगा।

    ये आदेश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान दिये। बुधवार को कोर्ट ने उत्तराखंड में कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराए जाने की संभावनाओं पर केंद्र का पक्ष पूछा था। कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को गुरूवार को सूचित करने को कहा था।

    गुरुवार को अटार्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि फ्लोर टेस्ट कराने के कोर्ट के सुझाव से सरकार को अवगत करा दिया गया है और सरकार उस पर गंभीरता से विचार कर रही है। रोहतगी ने कहा कि आज सुबह तक उन्हें सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है। उन्होंने केंद्र का जवाब सूचित करने के लिए कोर्ट से शुक्रवार तक का समय मांगा। दूसरी तरफ हरीश रावत की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल व अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर केन्द्र फ्लोर टेस्ट कराने का कोर्ट का सुझाव स्वीकार कर लेती है तो उन्हें समय दिये जाने पर आपत्ति नहीं है।

    लेकिन अगर सरकार ने शुक्रवार को सुझाव को नकार दिया तो फिर कोर्ट जवाब का इंतजार किए इस मामले में आदेश पारित करे। उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन रद करके हरीश रावत सरकार को बहाल करते हुए फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था जिस पर सुप्रीमकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा रखी है। कोर्ट ने उनकी दलीलों पर कहा कि पहले दिन जब उन्होंने सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने विवाद खतम करने का सुझाव दिया था तो सरकार ने उसे ठुकरा दिया था लेकिन आज वह सुझाव पर गंभीरता से विचार करने की बात कह रही है ऐसे में शुक्रवार तक का समय दिये जाने में कोई हर्ज नहीं है।

    अगर सरकार शुक्रवार तक जवाब नहीं देगी तो कोर्ट उस दिन मामले पर सुनवाई करेगा। पीठ ने मामले को संविधानपीठ को भेजे जानी की संभावनाओं की ओर भी संकेत किया। उधर रावत के वकील का कहना था कि यहां मसला अविश्वास प्रस्ताव का नहीं है बल्कि फ्लोर टेस्ट का है राष्ट्रपति शासन हटा कर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बहाल करते हुए बहुमत साबित करने का मौका देना चाहिए। जिसका रोहतगी ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगे रहते हुए फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता और अगर कराया जाए तो दोनों दलों (भाजपा और कांग्रेस) को बहुमत साबित करने का मौका मिले।

    दोनों पक्षों की विरोधाभासी दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि अगर वे फ्लोर टेस्ट का आदेश देंगे तो हरीश रावत को बहुमत साबित करने का मौका तो दिया जाएगा लेकिन उनकी मुख्यमंत्री वाली पूर्व हैसियत बहाल नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि झारखंड के सिद्धांत पर उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट कराया जा सकता है। हालांकि बाद मे अटार्नी के अनुरोध पर कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने साफ किया कि इस बीच राष्ट्रपति शासन रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक बरकरार रहेगी।

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