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    उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ अब 6 मई को होगी सुनवाई

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 04 May 2016 11:21 AM (IST)

    उत्तराखंड मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ दिए गए निर्देश पर 6 मई को सुनवाई होेगी। कोर्ट ने केन्द्र से पूछा है कि क्या बहुतमत परीक्षण कराया जा सकता है।

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले पर सुनवाई 6 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा है कि क्या विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराया जा सकता है? इस पर आज केन्द्र सरकार को जवाब देना है।

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    उत्तराखंड फ्लोर टेस्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने जवाब दाखिल करके कहा है कि वह फ़्लोर टेस्ट पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस मामले पर शुक्रवार को अगली सुनवाई होगी। कल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या केंद्र सरकार शक्ति परीक्षण कराना चाहती है।

    बुधवार को मामले की सुनवाई शुरू हुई तो एजी ने कहा, 'केंद्र सरकार फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को काफी गंभीरता से ले रही है, हालांकि अब तक इस संबंध में कोई दिशानिर्देश तय न हीं हुआ। सरकार को इस बारे में फैसला लेने के लिए शुक्रवार तक का समय दिया जाए।' कोर्ट ने एजी की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार को फ्लोर टेस्ट पर फैसला करने के लिए 6 मई तक का वक्त दिया है।

    न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और शिवकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रहतोगी से कहा कि वे उत्तराखंड़ में शीर्ष न्यायालय की देख-रेख में शक्ति परीक्षण की संभावनाओं पर निर्देश लें और केन्द्र की राय से न्यायालय को बुधवार तक अवगत कराए।

    नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का फ़ैसला दिया था जिसके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। मंगलवार को कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला भी दिया।

    कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल को फ्लोर टेस्ट के मसले पर सरकार से निर्देश लाने को भी कहा था। इसके लिए कोर्ट ने एजी को 24 घंटे का समय दिया गया था। बता दें कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।


    सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश पर 27 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी थी, जिसमें राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को निरस्त कर दिया गया था। इसके साथ ही राज्य में केंद्र के शासन की बहाली के साथ वहां चल रहे राजनीतिक नाटक में एक नया मोड़ आ गया था।

    बीते 27 अप्रैल को, न्यायालय ने अगले आदेशों तक इस रोक को आगे बढ़ा दिया था और इसके साथ ही उसने सात सवाल तय किए थे। इस दौरान न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल को उन सवालों को भी शामिल करने का अधिकार दिया था जिनका जवाब सरकार चाहती होगी।