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आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया, ये है दिल्ली सरकार के खजाने का हाल

सूबे की नई हुकूमत ने बिजली हाफ और पानी माफ के चुनावी जुमले को सच साबित कर दिया है, लेकिन सरकार के इस लोकलुभावन फैसले से आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली कहावत भी सच साबित हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो अब सरकारी खजाने पर घाटे का बोझ

By anand rajEdited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 08:35 AM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 12:28 PM (IST)
आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया, ये है दिल्ली सरकार के खजाने का हाल

नई दिल्ली (अजय पांडेय)। सूबे की नई हुकूमत ने बिजली हाफ और पानी माफ के चुनावी जुमले को सच साबित कर दिया है, लेकिन सरकार के इस लोकलुभावन फैसले से आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली कहावत भी सच साबित हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो अब सरकारी खजाने पर घाटे का बोझ बढ़कर करीब छह हजार करोड़ रुपये हो जाएगा और इससे दिल्ली का विकास निश्चित रूप से प्रभावित होगा।

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आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए 400 यूनिट तक बिजली के बिल को आधा करने और 20 हजार लीटर पानी प्रति परिवार प्रतिमाह मुफ्त देने का ऐलान कर दिया है। पहली मार्च से यह सुविधा दिल्ली के लोगों को मिल जाएगी। जाहिर तौर पर लाखों लोगों को सरकार के इस फैसले का फायदा होगा। लेकिन इस फैसले का ऐलान करते हुए खुद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी यह स्वीकार किया कि वर्तमान दरों पर सरकार पर प्रतिवर्ष करीब 1700 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार की राजस्व वसूली में करीब 4500 करोड़ की कमी आई है और इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकारी खर्चो में कटौती की जाएगी। जाहिर है कि 1700 करोड़ रुपये का बोझ और बढ़ने के बाद अगले साल यह घाटा छह हजार करोड़ के उपर पहुंच जाएगा।

वैट की आमदनी में हो रही गिरावट

दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल बताते हैं कि पेट्रोल व डीजल की कीमतों में आई भारी गिरावट का असर उपभोक्ता वस्तुओं पर भी पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें गिरने से कम से कम दिल्ली सरकार को घाटा हो रहा है। वैट के मद में होने वाली उसकी आमदनी लगातार नीचे गिर रही है। उन्होंने आशंका जताई कि यह और नीचे जा सकती है।

अन्य मदों से करनी पड़ेगी कटौती

मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री सिसोदिया दोनों का यह कहना है कि यदि सरकार व्यापारियों को गले लगा लेगी तो वह पर्याप्त मात्रा में टैक्स देकर सरकारी खजाने को भर देंगे। यदि ऐसा होता है तो यह निश्चित रूप से सरकार के लिए राहत की बात होगी लेकिन फौरी तौर पर छह हजार करोड़ रुपये के इस घाटे का सीधा मतलब होगा अन्य मदों से फंड की कटौती।

सरकार के फैसले का पड़ेगा असर

पूर्व मुख्य सचिव सहगल का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि घाटे में चल रही सरकार विकास की कीमत पर ही ऐसे फैसले कर सकती है। सरकार के ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव शक्ति सिन्हा ने भी कहा कि निश्चित तौर पर दिल्ली के विकास पर सरकार के फैसले का असर पड़ेगा।

कहां से खर्च होंगे 90 करोड़

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि सरकार अपने बजट सत्र में जो संशोधित बजट अनुमान पेश करेगी, उसमें उसे बताना पड़ेगा कि पहली मार्च से 31 मार्च तक सस्ती बिजली और मुफ्त पानी पर खर्च होने वाले करीब 90 करोड़ रुपये की रकम को किस मद से खर्च किया जाएगा।

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