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पहली बार ब्रह्मोस के साथ सुखोई ने भरी उड़ान, भारत ने रचा इतिहास

देश में बनी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर भारतीय वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान ने पहली बार उड़ान भरी।

By kishor joshiEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2016 08:09 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 08:59 AM (IST)

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय वायुसेना के अग्रिम लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई ने कल पहली बार सुपरसोनिक क्रूज प्रक्षेपास्त्र ब्रह्मोस के साथ सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इस उड़ान के साथ ही भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली ऐसी एयरफोर्स बन गई है जिसके जंगी बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल हो गई है। भारत के पास अब जल, थल और आकाश से परमाणु हमला करने में सक्षमता हासिल हो गई है

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भारत और रूस ने मिलकर इस सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल का विकास किया है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, जमीन और विमान से दागा जा सकता है। वहीं सुखोई 30 एमकेआइ भारतीय वायुसेना का अग्रिम लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण विमान रूसी कंपनी सुखोई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के सहयोग से किया गया है।

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ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर कुमार मिश्रा ने बताया कि ढाई हजार किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र को लड़ाकू विमान के साथ जोड़कर उड़ाने वाला भारत पहला देश बन गया है। विंग कमांडर प्रशांत नायर और एमएस राजू लगभग 45 मिनट तक ब्रह्माोस को साथ लेकर एसयू30 एमकेआइ विमान को उड़ाते रहे। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक टी. सुवर्ण राजू ने कहा कि आज की सफलता के बाद अब इस तरह के कई और परीक्षण किए जाएंगे।

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इसके बाद ही ब्रह्मोस और सुखोई के एकीकरण को हरी झंडी दी जाएगी। आने वाले महीनों में सुखोई के जरिये हवा से जमीन पर ब्रह्मोस द्वारा हमला करने का परीक्षण किया जाएगा।

राजू ने कहा कि "मेक इन इंडिया" का यह एक शानदार उदाहरण है और भारत के विमानन इतिहास में भी यादगार दिन है। इससे साबित होता है कि यदि सभी एजेंसियां एक साथ मिलकर किसी खास मिशन पर काम करने लगें, तो असंभव कुछ भी नहीं है।

राजू ने कहा कि ब्रह्मोस एयरोनॉटिक्स के साथ हमने 2014 में इसको लेकर समझौता किया था। हमें दो सुखोई विमानों की डिजायन को बदलना था, ताकि वह ब्रह्मोस को लेकर उड़ान भर सके। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया था।

परीक्षण का यह है उद्देश्य

  • इस परीक्षण का उद्देश्य ब्रह्माोस को सुखोई विमान के जरिये हवा से जमीन पर दागने में सक्षम बनाना है।
  • सुखोई विमान में जब ब्रह्माोस प्रक्षेपास्त्र लगा दिया जाएगा, तो वायुसेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी।
  • भारतीय वायुसेना दुनिया की अकेली ऐसी वायुसेना होगी, जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली होगी।
  • वायुसेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। लगभग 40 विमानों में ब्रह्माोस लगाने की योजना है।

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