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    भिखारी बनकर ढूंढ निकाला बेटा

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    Updated: Mon, 19 Aug 2013 02:09 PM (IST)

    मकानों, कोठियों में रंग-रोगन कर वह परिवार पाल रहा था। बारह साल का बेटा गायब हुआ, तो बेहाल हो गया। थाने-चौकी में लिखा-पढ़ी कराई। कोई उम्मीद न देख खुद ह ...और पढ़ें

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    मथुरा [अभय गुप्ता]। मकानों, कोठियों में रंग-रोगन कर वह परिवार पाल रहा था। बारह साल का बेटा गायब हुआ, तो बेहाल हो गया। थाने-चौकी में लिखा-पढ़ी कराई। कोई उम्मीद न देख खुद ही चल पड़ा खोजने। किसी भिखारी के ले जाने की आशंका पर मंदिर-आश्रम खंगाल मारे। वृंदावन में भिखारी बन गया। फटे-पुराने कपड़े पहने, भिखारियों के बीच चिलम पी, भांग-गांजे के कश लगाए। आखिर एक दिन एक आश्रम की छत पर नजर आ गया उसके जिगर का टुकड़ा। बेटा तो मिल गया, मगर उसे फिर छिन जाने की आशंका से दहशत अब तक नहीं गई है।

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    ये दास्तां है हरिद्वार निवासी एक पेंटर की। पांच बच्चों में से दो लड़कियों की शादी हो चुकी है। दो बेटे और एक छोटी लड़की है। 16-17 जुलाई को उसका बारह साल का उसका बेटा गायब हो गया। थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने शक के आधार पर कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की, मगर कोई सुराग नहीं लगा। पेंटर को सुराग लगा कि कोई भिखारी बच्चे को ले गया है। इसी आशंका के चलते उसने तमाम मंदिर-आश्रम आदि खंगाल मारे। करीब आठ दिन पहले वृंदावन आ गया।

    पेंटर ने जागरण को बताया कि यहां वह भिखारी का वेश धारण कर भटकता रहा। भिखारियों के बीच रहकर किसी तरह से सुराग पाने की कोशिश करता रहा। एक दिन एक आश्रम की छत पर उसे अपना बेटा दिखाई पड़ गया। दोनों की निगाहें टकराई, तो पिता-पुत्र ने एक दूसरे को पहचान लिया। पेंटर लाड़ले के बाहर आने का उपाय खोजने लगा, तो उधर बेटा बाहर निकलने का। आखिर एक दिन किसी तरह से बेटा आश्रम से बाहर आ ही गया। पिता-पुत्र यहां से सीधे अलीगढ़ जिले के खैर कस्बे में पहुंचे, वहां अपनी रिश्तेदारी में गुमनाम जिंदगी बिता रहे हैं।

    जागरण को उसने बताया कि उसे डर है कि वो लोग पीछा करते हुये यहां तक न आ जाएं और उसके बेटे को छीन ले जाएं। वो पुलिस को भी कुछ बताने से कतरा रहा है। कहता है कि हरिद्वार से बीवी और बच्चों को यहीं पर बुलवा लेगा। पेंटर के लड़के ने बताया कि उसे आश्रम में आने के बाद होश आया। यहां पर उसे छत पर बने कमरे में रखा गया था। आश्रम से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। डरा दिया था कि बाहर कदम रखा या किसी को कुछ बताया, तो जान से मार दिया जाएगा। उसे कंठी माला पहना दी गई। सुबह चार बजे उठा दिया जाता।

    आश्रम में और भी हैं बच्चे

    पेंटर कहता है कि आश्रम में उसके लड़के की तरह और भी बच्चे हैं। सवाल ये कौंध रहा है कि आखिर ये बच्चे कौन हैं? कहीं उसके बेटे की तरह ही तो ये बच्चे नहीं लाए गए हैं।

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