तेल की उचित कीमत तय हो : मोदी
यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी तरह की ऊर्जा स्त्रोतों की कीमतों को एक निर्धारित स्तर पर रखने का आग्रह किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सत्ता में आने के बाद राजग सरकार के सामने पहली बार कच्चे तेल की रोजाना बढ़ रही कीमतों ने चुनौती पेश की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमते पिछले 16 महीनों के उच्चस्तर स्तर पर पहुंच गई हैं और इसकी चिंता सरकार के माथे पर साफ दिखाई दे रही है। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी तरह की ऊर्जा स्त्रोतों की कीमतों को एक निर्धारित स्तर पर रखने का आग्रह किया है।
हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े सम्मेलन पेट्रोटेक का यहां उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि ऊर्जा अभी भी आर्थिक प्रगति का सबसे बड़ा उत्प्रेरक है। समाज के निचले तबके तक विकास का फायदा पहुंचाने के लिए ऊर्जा स्त्रोतों की टिकाऊ व उचित कीमत तय करना बेहद जरुरी है। वैसे भी हाइड्रोकार्बन आने वाले कई वषरें तक अभी सबसे अहम ऊर्जा स्त्रोत बना रहेगा। मोदी ने यह बात ऊर्जा क्षेत्र में बड़े परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए कही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार से आ रही सूचनाएं बताती हैं कि कच्चे तेल की कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है जो अगस्त, 2015 के बाद सबसे ज्यादा है।
अगर यह यूं ही बढ़ती रही तो भारत में पेट्रोल व डीजल की कीमतों को तेजी से बढ़ानी पड़ सकती है। वैसे कीमत तय करने का अधिकार सरकार तेल कंपनियों को दे चुकी है लेकिन खुदरा कीमतें बढ़ती हैं तो इसका राजनीतिक खामियाजा केंद्र को भुगतना पड़ सकता है। मोदी के साथ ही पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धमर्ेंद्र प्रधान ने भी इस बैठक में हिस्सा ले रहे सभी देशों से आग्रह किया कि वे तेल की एक उचित व टिकाऊ कीमत तय करें। पेट्रोटेक-2016 में ओपेक के कई देश हिस्सा ले रहे हैं। प्रधान ने कहा कि भारत कच्चे तेल का दुनिया के सबसे बड़े ग्राहकों में शामिल है और कीमत इस तरह से तय की जानी चाहिए की उत्पादक देश उपभोक्ता देश दोनों को फायदा हो।
भारत अभी भी अपनी कुल तेल खपत का 80 फीसद आयात करता है। वैसे पीएम मोदी ने पेट्रोलियम मंत्रालय को वर्ष 2022 तक आयातित तेल में दस फीसद की कटौती करने का लक्ष्य दिया है। सोमवार को मोदी ने इसका भी जिक्त्र किया। लेकिन इसमें काफी वक्त लगेगा। वैसे भी जब कच्चा तेल महंगा होता है तो उसका खामियाजा आम जनता व देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ता है। सबसे पहले तो घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल को महंगा करना पड़ता है। इसके संकेत मिलने भी लगे हैं।
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के महासचिव मोहम्मद सानउसी बार्किंडो ने दिल्ली में बताया कि ओपेक देशों की बैठक आगामी रविवार को विएना में होगी और वहां पर तेल कटौती का फैसला किया जाएगा। यह लगभग तय माना जा रहा है कि ओपेक एक बार फिर तेल उत्पादन को घटाने का फैसला करेगा जिससे इसकी कीमतें और ऊपर चढ़ेंगी।
पीएम मोदी ने पेट्रोटेक में हिस्सा लेने वाले देशों के सामने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भारत की ब्रांडिंग करने की बेहतरीन कोशिश की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2040 तक भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था में पांच गुणा की बढ़ोतरी हो जाएगी। यह सभी देशों के लिए यहां हाइ्ड्रोकार्बन क्षेत्र में निवेश करने का बहुत ही अच्छा अवसर है।
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