Move to Jagran APP

महाराष्ट्र में सब को चाहिए छत्रपति शिवाजी के नाम का सहारा

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम की लूट मची है। कांग्रेस राकांपा से लेकर शिवसेना और भाजपा तक उनके नाम का सहारा लेकर अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती हैं। महाराष्ट्र में 32 फीसद आबादी मराठों की है। यह वर्ग जातिगत रूप से स्वयं को छत्रपति शिवाजी महाराज के नजदीक मानता है

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 05:44 PM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 05:44 PM (IST)
महाराष्ट्र में सब को चाहिए छत्रपति शिवाजी के नाम का सहारा

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम की लूट मची है। कांग्रेस राकांपा से लेकर शिवसेना और भाजपा तक उनके नाम का सहारा लेकर अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती हैं।

loksabha election banner

महाराष्ट्र में 32 फीसद आबादी मराठों की है। यह वर्ग जातिगत रूप से स्वयं को छत्रपति शिवाजी महाराज के नजदीक मानता है। आजाद भारत में सबसे पहले मराठा नेता यशवंतराव चह्वाण ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए शिवाजी के नाम का इस्तेमाल शुरू किया। उनके बाद स्वयं मराठा छद्दप के नाम से मशहूर उनके शिष्य शरद पवार मराठों का नेतृत्व करते आ रहे हैं।

उधर, 60 के दशक में जन्मी शिवसेना ने शिवाजी के सपनों का महाराष्ट्र गढ़ने का सपना दिखाकर अपनी राजनीति शुरू की। शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने न सिर्फ अपनी छवि शिवाजी जैसे तेजतर्रार व्यक्ति की प्रस्तुत की, बल्कि शिवाजी का भगवा झंडा भी अपनाया। यही नहीं, उन्होंने शिवाजी के युद्धघोष-जय भवानी के साथ शिवाजी का नाम जोड़कर-जयभवानी, जय शिवाजी नारा दिया।

इस बार के विधानसभा चुनाव में भी शिवाजी के नाम की लूट मची है। महाराष्ट्र में इस नाम की संवेदनशीलता समझते हुए चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले दो-तीन सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आए प्रधानमंद्दी नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में शिवाजी का उल्लेख कर यहां के लोगों से जुड़ने की कोशिश की। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा को एक नया नारा दिया-शिव छत्रपति का आशीर्वाद, चलो चलें मोदी के साथ। इस नारे में उन्होंने अपने नेता नरेंद्र मोदी का नाम शिवाजी के साथ जोड़ दिया है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वह घर-घर जाकर लोगों को बताएं कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार शिव-राज्य लाना चाहती है। बता दें कि शिवाजी के राज्यकाल को एक आदर्श राज्य के रूप में देखा जाता है।

मराठा मतदाताओं के बीच शिवाजी का नाम भुनाने के लिए ही पिछले 10 वर्षो से मुंबई में समुद्र के अंदर छत्रपति शिवाजी महाराज की विशाल प्रतिमा एवं भव्य स्मारक बनाने का सपना कांग्रेस दिखाती आ रही है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा कांग्रेस के घोषणापत्र में जगह पाता रहा है। बजट में इसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कई बार किया जा चुका है। परियोजना पर परामर्श के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की नियुक्ति भी की गई। लेकिन आज तक काम एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सका है।

पढ़ें : राज ठाकरे ने फिर उगली आग, छेड़ा परप्रांतीय विरोधी राग

पढ़ें : केंद्र से हटे तो सभी 42 सांसदों को देना होगा इस्तीफा : उद्धव


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.