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    नोटबंदी : एक साल में तैयार हो जाएगा कैशलेस लेनदेन का पूरा ढांचा

    By Kishor JoshiEdited By:
    Updated: Thu, 01 Dec 2016 09:30 AM (IST)

    सरकार ने नए नोटों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कैशलेस सोसाइटी का ढांचा खड़ा करने के लिए कमर कस ली है।

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद आने वाले पहले सैलरी सप्ताह के लिए जहां सरकार ने नए नोटों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कमर कसी है। वहीं एक साल के अंदर कैशलेस सोसाइटी का ढांचा खड़ा करने की कवायद भी शुरू हो गई है। इस काम में अब मुख्यमंत्रियों व विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति जुटेगी।

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    आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को संयोजक बनाकर और अलग अलग दलों के छह मुख्यमंत्रियों को शामिल कर जहां राजनीतिक संतुलन साधा गया वहीं नीति आयोग के शीर्ष अधिकारियों व नंदन नीलकेणि जैसे कई अन्य विशेषज्ञों को समिति से जोड़कर यह भी सुनिश्चित किया गया है कि डिजिटल इंडिया और कैशलेस ट्रांजेक्शन एक साल के अंदर पूरी तरह परवान चढ़ जाए।यह समिति कैशलेस लेनदेन की दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनाए जा रहे तौर तरीकों के आधार पर भारत में अपनाए जाने वाले उपयुक्त कदम की पहचान करेगी। समिति उसके आधार पर राज्यों में प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के सुझाव भी देगी।

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    सरकार ने बनाई मुख्यमंत्रियों व विशेषज्ञों की समिति

    बुधवार को सरकार ने नायडू समेत ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, सिक्किम के पवन चामलिंग, पुद्दुचेरी के वी नारायणसामी और महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस की एक समिति गठित कर दी है। अलग अलग दलों के साथ साथ देश के चारों कोनों का भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। बताते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कर्नाटक के सिद्धारमैया जैसे नेताओं से भी बात की गई थी लेकिन किसी कारण से शायद सहमति नहीं मिली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागडि़या व सीइओ अमिताभ कांत के साथ आधार तैयार करने वाले नंदन नीलकेणि व अन्य विशेषज्ञ विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किए गए हैं।

    तात्कालिक राहत के लिए रविशंकर की अध्यक्षता में मंत्रियों का समूह भी सक्रिय

    यूं तो केंद्र के स्तर पर सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में आधे दर्जन मंत्रियों का समूह लगातार इस बाबत चर्चा कर रहा है। इस समूह का मानना है कि आधार नंबर को ही केशलेस लेनदेन का आधार बनाया जाए। उस बाबत पीओएस, नेफ्ट के जरिए इंटरनेट ट्रांसफर जैसे माध्यमों को भी आधार से जोड़ना होगा। सरकारी बैंकों को भी निजी बैंकों के साथ होड़ में शामिल होते हुए वालेट शुरू करने होंगे। बताते हैं कि यह समूह भी लगातार काम करता रहेगा ताकि अगले एक दो महीने में एक व्यवस्था खड़ी हो सके।

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    अंतरराष्ट्रीय तौर तरीकों को अपनाने की होगी कोशिश

    इन तात्कालिक मुद्दों के साथ नवगठित समिति को आठ बिंदुओ पर विचार करने को कहा गया है। इसके तहत उन्हें यह तय करना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जा रहे माध्यमों में भारतीय स्थिति के लिए सबसे ज्यादा क्या अनुकूल है। समिति यह देखेगी कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड, डिजिटल और ई-वालेट, इंटरनेट बैंकिंग एप्स जैसे माध्यमों का प्रचार प्रसार कैसे तेज हो।

    वर्तमान प्रशासनिक ढांचों में अवरोधों की पहचान कर समिति सुधार के तौर तरीके बताएगी। केंद्र सरकार ने पहले ही अधिकारियों की एक समिति बनाई है। मुख्यमंत्रियों व विशेषज्ञों की समिति उन पर भी विचार करेगी और कुछ ऐसे सुझाव देगी जिससे एक साल के अंदर कैशलेस सोसाइटी का निर्माण करने में मदद मिले। मुख्यमंत्रियों के शामिल होने के कारण राज्यों में इसे अपनाए जाने की गति भी तेज होगी।

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    इस समिति में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अध्यक्ष जम्नेजय सिन्हा, नेटकोर के निदेशक राजेश जैन, इसपिरिट के सह संस्थापक शरद शर्मा और आइआइएम अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत वर्मा भी विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किए गए हैं। केंद्र सरकार ने समिति को पूरी स्वतंत्रता दी है। उन्हें तय करना है कि समिति का कामकाज कैसे हो और कोई उप समिति बनाना चाहती है या नहीं।