अच्छा मतदान हुआ तो पस्त होंगे तालिबान के हौसले
मुबंई [ओमप्रकाश तिवारी]। पाकिस्तान में शनिवार को होने जा रहे नेशनल एसेंबली के चुनाव में यदि मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा तो वहां सक्रिय तालिबान के हौसले पस्त होंगे। यह मानना है पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखनेवाले पूर्व राजनयिकों एवं विशेषज्ञों का।
मुबंई [ओमप्रकाश तिवारी]। पाकिस्तान में शनिवार को होने जा रहे नेशनल एसेंबली के चुनाव में यदि मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा तो वहां सक्रिय तालिबान के हौसले पस्त होंगे। यह मानना है पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखनेवाले पूर्व राजनयिकों एवं विशेषज्ञों का।
मुंबई प्रेस क्लब द्वारा पाकिस्तान चुनाव की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान के भविष्य को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार जतिन देसाई ने कहा कि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान द्वारा मतदान के दिन भारी हिंसा की धमकी के बावजूद पूरे पाकिस्तान में चुनाव को लेकर उत्साह का माहौल दिखाई दे रहा है। यदि लोगों में इस उत्साह के चलते कल 60 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ तो तहरीक-ए-तालिबान सहित सभी कंट्टरपंथी संगठनों के हौसले पस्त होंगे। गौरतलब है कि पाकिस्तान में पहली बार वहां की संसद [नेशनल एसेंबली] का कार्यकाल पूरा होने के बाद विधिवत् चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन कंट्टरपंथी तत्वों द्वारा इसमें बाधा पहुंचाने के कोशिश के कारण चुनाव की घोषणा से अब तक 120 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो चुकी हैं।
तहरीक-ए-तालिबान खासतौर से राष्ट्रपति जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी], अल्ताफ हुसैन की मुत्ताहिदा कौमी मुवमेंट [एमक्यूएम] एवं सरहदी गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान के पौत्र अफसंदयार वली खान की अवामी नेशनल पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है। अब तक इन तीनों पार्टियों की कोई भी बड़ी राजनीतिक सभा नहीं हो सकी है। ये तीनों दल नुक्कड़ सभाएं करके ही अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। जबकि पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की बड़ी-बड़ी सभाएं हो रही हैं। पत्रकारों द्वारा उनसे इस बाबत पूछे जाने पर इमरान ने कहा है कि जो पार्टियां अमरीका समर्थक हैं, उन्हीं पर हमले हो रहे हैं। मेरी पार्टी अमरीका विरोधी है, इसलिए उस पर हमले नहीं हो रहे हैं। इमरान की बड़ी रैलियों के बारे में वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर का मानना है कि जिस प्रकार महाराष्ट्र में राज ठाकरे की रैलियों में खूब भीड़ होती है, लेकिन चुनाव में उन्हें सीटें उतनी नहीं मिलतीं। उसी प्रकार इमरान खान को भी अधिक चुनावी लाभ होने की उम्मीद नहीं दिखती।
गौरतलब है कि तहरीक-ए-तालिबान के निशाने पर चल रही उक्त तीनों राजनीतिक दल सेक्यूलर एवं अपेक्षाकृत उदारवादी माने जाते हैं। लेकिन पूर्व राजदूत राजेंद्र अभ्यंकर के अनुसार इन दिनों आश्चर्यजनक रूप से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी भारत के साथ अच्छे संबंधों की दुहाई देते देखे जा रहे हैं। एक दिन पहले ही वह पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों [हिंदुओं, सिखों इत्यादि] की एक विशेष सभा बुलाकर यह कहते देखे गए कि भारत और पाकिस्तान में कोई बुनियादी फर्क नहीं है। इसलिए दोनों देशों में रिश्ते अच्छे होने चाहिए।
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