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    सावधान! विदेशी सर्वर की आड़ में खातों पर डाका

    By Edited By:
    Updated: Sat, 22 Feb 2014 12:34 PM (IST)

    सिर्फ एकाउंट नंबर और एटीएम कार्ड का नंबर मांगकर माल की डिलेवरी देने वाली वेबसाइट के विज्ञापनों से सावधान हो जाइए क्योंकि इसकी आड़ में बगैर एटीएम पिन जाने भी कोई आपके खाते से रकम ट्रांसफर कर सकता है। लोगों के ईमेल आईडी और स्मार्टफोन पर इस तरह के संदेश भेजकर अंतरराष्ट्रीय गिरोह विदेशी सर्वरों की आड़ में लोगा

    भोपाल। सिर्फ एकाउंट नंबर और एटीएम कार्ड का नंबर मांगकर माल की डिलेवरी देने वाली वेबसाइट के विज्ञापनों से सावधान हो जाइए क्योंकि इसकी आड़ में बगैर एटीएम पिन जाने भी कोई आपके खाते से रकम ट्रांसफर कर सकता है। लोगों के ईमेल आईडी और स्मार्टफोन पर इस तरह के संदेश भेजकर अंतरराष्ट्रीय गिरोह विदेशी सर्वरों की आड़ में लोगों की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं और पुलिस चाहकर भी ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने के अलावा कोई खास कार्रवाई नहीं कर पा रही है।

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    विदेशी सर्वरों की आड़ में चल रहे इस गोरखधंधे के बारे में ज्यादातर बैंकिंग उपभोक्ताओं को पता ही नहीं है। एक बार लुटने के बाद वित्तीय संस्थाएं ऐसे पीड़ितों को साइबर पुलिस से संपर्क साधने की सलाह देती हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय अपराध होने की वजह से राज्यों की पुलिस को मदद के लिए खुद इंटरपोल का मुंह ताकना पड़ता है। साइबर क्राइम की श्रेणी में आने वाले इन अपराधों की रोकथाम के लिए मप्र पुलिस साइबर सेल ने सभी वित्तीय संस्थानों और उपभोक्ताओं को असुरक्षित वेबसाइट्स से बचने का अलर्ट जारी किया है।

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    कैसे पहचानें साजिश

    सक्रिय गिरोह बैंकिंग उपभोक्ताओं को ठगने के लिए अमेरिकी सर्वर पर हाईपर टेस्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एचटीटीपी) आधारित वेबसाइट बनाकर विज्ञापन जारी कर रहे हैं। ये वेबसाइट सुरक्षित नहीं होती हैं और कम्प्यूटर स्क्रीन पर साइट एड्रेस कॉलम की शुरआत में ही आसानी से एचटीटीपी पढ़कर इसे पहचाना जा सकता है। इसके विपरीत जिन साइट की शुरआत में हरे रंग से एचटीटीपीएस लिखा होता है वह सुरक्षित मानी जाती हैं। जालसाज अमेरिका से संचालित होने वाले सर्वर की आड़ में इन वेबसाइट्स को संचालित करते हैं जिसके चलते अपराध होने की दशा में अमेरिकी कानून कार्रवाई के आड़े आ जाते हैं और केस इंटरपोल के पाले में चला जाता है।

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    कैसे निकलती है रकम

    असुरक्षित मानी जाने वाली ऐसी साइट्स से आने वाले संदेशों में अक्सर उपभोक्ता का नाम, पता, खाता नंबर और एटीएम कार्ड का नंबर मांगा जाता है। उपभोक्ता यदि अपनी ईमेल आईडी से संबंधित साइट पर ये जानकारियां दे रहा है तो नेटबैंकिंग कानून के मुताबिक इसे उपभोक्ता की स्वीकृति माना जाता है। इसके आधार पर बगैर एटीएम पिन नंबर जाने भी फर्जी साइट चलाने वाला गिरोह आपके खाते की रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर सकता है।

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    साइट को पहचानें

    'अमेरिकी सर्वर के इस्तेमाल और जागरूकता की कमी के चलते आर्थिक अपराध बढ़ गए हैं। विदेशी सर्वर होने की वजह से ऐसे अपराधों में इंटरपोल की मदद लेना पड़ती है। इन साइट्स को पहचान कर झांसे से बचा जा सकता है।'

    अशोक दोहरे, एडीजी, साइबर क्राइम