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    राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस के दो बागियों के वोट रद्द, भाजपा को झटका

    गुजरात में हुए तीन राज्यसभा सीटों के मतदान के बाद छह घंटे तक सियासी बवाल मचा रहा।

    By Tilak RajEdited By: Updated: Wed, 09 Aug 2017 01:37 AM (IST)
    राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस के दो बागियों के वोट रद्द, भाजपा को झटका

    नई दिल्ली, ब्यूरो, एजेंसी। गुजरात में मंगलवार को हुए तीन राज्यसभा सीटों के मतदान के बाद छह घंटे तक सियासी बवाल मचा रहा। कांग्रेस के दो बागियों ने भाजपा प्रत्याशी को वोट देने के बाद कथित तौर पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दिखा दिया। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर दिल्ली में चुनाव आयोग में दिग्गज नेताओं को तीन बार भेजकर दोनों वोट रद्द कराने की पुरजोर मांग की। जवाब में कई भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री भी आयोग पहुंचे व तत्काल मतगणना कराने की मांग की। करीब छह घंटे के सियासी घमासान के बाद चुनाव आयोग ने रात 11.30 बजे दोनों के वोट रद्द करने के बाद मतगणना का आदेश दिया। इस घटनाक्रम से कांग्रेस के अहमद पटेल की जीत के आसार ब़़ढ गए हैं। 

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    क्यों रद्द किए गए वोट

    --रास चुनाव में गोपनीय, लेकिन खुला मतदान होता है। इसमें वोट देने के बाद मतपत्र पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना प़़डता है। 

    --कांग्रेस के दो विधायकों राघवजी भाई पटेल व भोला पटेल ने वोट देने के बाद कांग्रेस के एजेंट को वोट दिखाने के बजाए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को वोट दिखाया। 

    --चुनाव आयोग ने इसे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत रद्द कर दिया।

    शाह पर भारी प़़डे पटेल 

    चुनावी तिक़़डमबाजी में कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर भारी प़़डते दिखाई दिए। राज्य में चार रास सीटों के लिए मंगलवार को मतदान हुआ था। शाम 5 बजे से मतगणना शुरू होना थी, लेकिन कांग्रेस के दो बागियों द्वारा वोटों को लेकर बवाल मच गया। कांग्रेस ने गांधीनगर से दिल्ली तक चुनाव आयोग व अधिकारियों के दरवाजे खटखटाए। दिल्ली में आयोग की पूर्ण पीठ ने रात 11.30 बजे दोनों वोट रद्द कर मतगणना के आदेश दिए। रात 12 बजे मतगणना शुरू हुई। 

    2016 में हरियाणा में सात विधायकों के वोट हुए रद्द

    कांग्रेस अंत तक इस बात पर अ़़डी रही कि ११ जून २०१६ को हरियाणा के रास चुनाव में ऐसा ही करने वाले सात कांग्रेस विधायकों के वोट रद्द हो गए थे। आयोग से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने यही सवाल किया कि सालभर में नियम कैसे बदल सकता है? याद रहे हरियाणा में निर्दलीय सुभाषष चंद्रा ने कांग्रेस समर्थित आरके आनंद को हरा दिया था, क्योंकि कांग्रेस के सात विधायकों ने गलत स्याही का इस्तेमाल किया गया था। 

    कांग्रेस को वोट नहीं दिया : वाघेला

    पूर्व सीएम व हाल में कांग्रेस छो़़ड चुके शंकर सिंह वाघेला ने वोट डालने के बाद कहा, मैंने कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं दिया, क्योंकि अहमद पटेल नहीं जीतने वाले इसलिए वोट बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है। हमने कई बार गुजारिश की कि विधायकों की शिकायतें सुनी जाएं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। कांग्रेस जिन 44 विधायकों पर भरोसा कर रही है, उनमें से भी चार--पांच विधायक पार्टी के समर्थन में वोट नहीं देंगे।

    अहमद पटेल ओर बलवंत सिंह राजपूत के बीच टक्‍कर बेहद कड़ी नजर आ रही है। गुजरात में जेडीयू के विधायक छोटू भाई वसावा ने वोट डाला, जो शरद यादव के करीबी माने जाते हैं। माना जा रहा है कि वसावा पार्टी विप से अलग जाकर अहमद पटेल को वोट दे सकते हैं। वसावा ने वोट देने के बाद कहा कि वह नहीं बताएंगे कि उन्होंने वोट किसे दिया है।

    इधर वाघेला ने कहा कि कांग्रेस के 44 में से टूटेंगे 3-4 विधायक और पटेल चुनाव हार जाएंगे। मैं अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहता था। इसलिए मैंने पटेल को वोट नहीं दिया है। मुझे पटेल को वोट ना देने का अफसोस है। हमसे बोला गया कि जहां जाना है जाइए।

    गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। तीन सीटों पर चार उम्मीदवार खड़े हैं। भाजपा की ओर से अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत पक्की मानी जा रही है। लड़ाई तीसरी सीट को लेकर है, जिस पर कांग्रेस नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल उम्मीदवार हैं। इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस से आए नेता बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बना दिया है।  भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी और अमित शाह राज्य विधानसभा पहुंचे और उनके साथ विजय रूपानी भी नजर आए।

    पटेल के लिए चुनौती

    67 साल के अहमद पटेल कांग्रेस के शीर्ष परिवार की तीन पीढ़ियों को सियासी मंत्र पढ़ाते रहे हैं। सीधे चुनाव से परहेज कर विधानसभा के रास्ते पांचवीं बार राज्यसभा में जाने का इस बार का प्रयास उनके सियासी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से उनकी सियासी अदावत ने उन्हें चक्रव्यूह में फंसा दिया है। मंगलवार को गुजरात में हो रहे राज्‍यसभा चुनाव उनके भावी सियासी जीवन का भी रास्ता तय करेंगे। जीते तो कद बरकरार रहेगा, हारे तो हाशिए पर जा जाएंगे।

    2004, 2009 में दिलाई जीत

    पटेल को 2004 व 2009 के लोकसभा चुनावों में संप्रग की जीत का अहम रणनीतिकार माना जाता है। कांग्रेस व संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के नाते वह मनमोहन सरकार के कई अहम फैसलों में निर्णायक भूमिका निभाते थे। उनकी भूमिका कांग्रेस संगठन से लेकर सरकार तक सबसे ताकतवर नेता के रूप में थी। नियुक्तियों, पदोन्नतियों से लेकर फाइलों पर फैसलों तक में उनका सिक्का चलता था। वह कांग्रेस के कुछेक नेताओं में हैं, जिनकी गांधी परिवार की तीन पीढि़यों (राजीव, सोनिया व अब राहुल) से अत्यंत करीबी रही।

    77 की जनता लहर में जीते थे पटेल

    1977 में 26 साल की उम्र में गुजरात के भरच से लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बने थे। तब देश में आपातकाल के खिलाफ आक्रोश से पनपी जनता पार्टी की लहर चल रही थी। ऐसे में उनका जीतना पार्टी के लिए चौंकाने वाला था। वे 1993 से राज्यसभा सदस्य हैं। पांचवीं बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं। उनकी रूचि मंत्री बनने में नहीं बनवाने में रही। मुद्दा उछालने व हवा देने में माहिर पर्दे के पीछे से सियासी रणनीति के मास्टर माइंड पटेल को मुद्दे बनाने व उछालने का महारथी माना जाता है। गुजरात में ऊना दलित कांड हो या आंध्र में रोहित वेमूला की फांसी का मामला अथवा सांप्रदायिकता का मसला पटेल इनसे जुड़े रहे हैं।

    पटेल की जीत/हार के मायने, जीते तो कांग्रेस को लाभ

    -कांग्रेस में अपना कद व वर्चस्व कायम रख पाएंगे।

    -गुजरात में इसी साल होने वाले विस चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी

    -राहुल की अध्यक्ष पद पर संभावित ताजपोशी के बाद भी सलाहकार बने रह सकेंगे।

    हारे तो शाह का मिशन पूरा

    -अमित शाह गुजरात में पटेल द्वारा उन पर किए सियासी का बदला ले लेंगे।

    -खास सिपहसालार की हार का झटका कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी लगेगा।

    -गुजरात में कांग्रेस कमजोर होगी और बचे-खुचे विधायकों में वाघेला या भाजपा दौ़ड़ बढ़ेगी।

    -गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की पांचवीं बार जीत की संभावनाएं पुख्ता होंगी।

    विजय रूपाणी ने कहा, 'भाजपा गुजरात की तीनों रास सीटें जीतेगी और चुनाव में अहमद पटेल की हार होगी। कांग्रेस के विधायक उनके नियंत्रण में नहीं हैं। विधायकों को कांग्रेस पर भरोसा नहीं है।'

    वहीं अहमद पटेल ने कहा कि हम जीत व वोटों के नंबर को लेकर आश्वस्त हैं। रणनीति का खुलासा नहीं करूंगा। सरकारी मशीनरी का चुनाव में दुरुपयोग हो रहा है।


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