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    ये पांच विशेषताएं जिससे मोदी को सुनना चाहते हैं लोग

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    Updated: Tue, 10 Sep 2013 12:02 PM (IST)

    नई दिल्ली। आरएसएस 'स्कूल के विद्यार्थी' रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहने वालों की कमी नहीं है। उनकी भाषण कला उन्हें एक दमदार नेता के तौर पर पेश करती है। मोदी के भाषण में वे सभी तत्व मौजूद होते हैं जिसे लोग सुनता चाहती है। वैसे तो भाजपा में एक से एक वक्ता वक्ता मौजूद हैं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भाषण कला को कौन भुला सकता है। वाजपेयी को अपना आदर्श मानने वाले मोदी के भाषण में बहुत हद तक उनकी छाप ि

    नई दिल्ली। आरएसएस 'स्कूल के विद्यार्थी' रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहने वालों की कमी नहीं है। उनकी भाषण कला उन्हें एक दमदार नेता के तौर पर पेश करती है। मोदी के भाषण में वे सभी तत्व मौजूद होते हैं जिसे लोग सुनता चाहती है। वैसे तो भाजपा में एक से एक वक्ता वक्ता मौजूद हैं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भाषण कला को कौन भुला सकता है। वाजपेयी को अपना आदर्श मानने वाले मोदी के भाषण में बहुत हद तक उनकी छाप दिखाई देती है। चाहे विरोधियों पर हमले की बात हो या चुटकी लेने की, हर कला में मोदी धीरे-धीरे माहिर होते जा रहे हैं। आइए जानते हैं मोदी के भाषण की पांच खास बातें :-

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    1 विरोधियों पर हमला : मोदी हर रैली में पूरी तैयारी के साथ जाते हैं। समसामयिक मुद्दों पर उनका अपना मत होता है और इसी से वे विरोधियों पर हमला करते हैं। सरकार को घेरने के लिए वह सभी मुद्दों पर एक-एक हमला बोलते हैं।

    2.आंकड़े : मोदी अपने भाषण में आंकड़ों को खास तवज्जो देते हैं, जो पढ़े-लिखे लोग खासकर युवाओं को बेहद पसंद आता है। चाहे विकास दर, जीडीपी की बात हो या बेरोजगारी और अशिक्षा के आंकड़े हों। आर्थिक मुद्दों पर उनकी जानकारी और रिसर्च बेजोड़ है।

    3. स्थानीय लोगों से जुड़ना : मोदी जिस जगह भाषण देते हुए हैं वहां से जुड़ने की कोशिश करते हैं। आपको याद होगा, उन्होंने हैदराबाद में अपने भाषण की शुरुआत तेलुगू भाषा में बोलकर शुरू की थी। इसी तरह वह अपने प्रदेश में गुजराती में ही भाषण देते हैं। ठीक इसी तरह लुधियाना की एक रैली में उन्होंने पंजाबी में अपने भाषण की शुरुआत की थी।

    4. विकास का एजेंडा : मोदी को पता है कि आज देश में युवाओं की संख्या 65 फीसद है और वे विकास की बात सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इसलिए वह अपनी हरेक रैली में गुजरात में हो रहे विकास का जिक्र करते हैं। उसे आंकड़ों के जरिये समझाने की कोशिश करते हैं। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर विकास का खांका कैसा हो, उसे भी बताने की कोशिश करते हैं।

    5.कटाक्ष : मोदी के भाषण में वाजपेयी जी की तरह ही चुटीला अंदाज होता है। वह भाषण गंभीर विषयों को उठाने के साथ-साथ माहौल को हल्का करने के लिए विपक्ष पर कटाक्ष भी बेहद सधे हुए अंदाज में करते हैं। बीच-बीच में वह किस्सा-कहानियों का सहारा लेते हैं ताकि लोगों को स्वयं से जोड़ सकें।

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