भारत विरोधी कार्यक्रम मामले में डीयू प्रोफेसर गिलानी गिरफ्तार, अदालत में होगी पेशी
शिक्षा के बेहतर संस्थानों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आजकल सुर्खियों में है। पटियाला हाउस कोर्ट ने कन्हैया की पुलिस हिरासत दो और दिनों के लिए बढ़ा दी है। वहीं एनआइए से जांच कराने के लिए याचिका दायर की गई है।
नई दिल्ली। शिक्षा के बेहतर संस्थानों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आजकल सुर्खियों में है। विश्वविद्यालय किसी खास कामयाबी के लिए चर्चा के केंद्र में नहीं है। बल्कि विश्वविद्यालय कैंपस में कुछ गुमराह छात्रों ने जमकर भारत विरोधी बयानबाजी की। वहीं प्रेस क्लब आतंकी अफजल गुरू की बरसी के लिए आयोजित सभा के मामले में दिल्ली पुलिस ने कल दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएआर गिलानी को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने कल उन्हें हिरासत में लिया था।
नारों के जरिए भारत की एकता पर चोट
वाम दलों से जुडे़ संगठनों के छात्र नेताओं पर भारत की एकता और अखंडता पर हमला करने का आरोप है।इस मामले में पुलिस हिरासत का सामना कर रहे जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अदालत से किसी तरह की राहत नहीं मिली। पटियाला हाउस कोर्ट ने कन्हैया की पुलिस हिरासत दो और दिनों के लिए बढ़ा दी है।
NIA और न्यायिक जांच की मांग
कन्हैया कुमार के खिलाफ एनआइए जांच के लिए दिल्ली हाइकोर्ट में आज सुनवाई होगी। याचिका में जेएनयू में नारेबाजी की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने की मांग की गई है। इससे पहले सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट गहमागहमी से भरा रहा। वकीलों ने न केवल कन्हैया कुमार के समर्थकों से मारपीट की बल्कि
विरोध का मंगलवार
भारत विरोधी नारेबाजी के खिलाफ बजरंग दल के नेताओं ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है। बजरंग दल के कार्यकर्ता जेएनयू मेन गेट पर इकठ्ठा होकर धरना देंगे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता शाम को विश्नविद्यालय कैंपस में गंगा ढाबे से एकता मार्च निकालेंगे। वहीं पत्रकारों का एक संगठन सोमवार को वकीलों द्वारा की गयी मारपीट के विरोध में दोपहर 12 बजे विरोध प्रदर्शन करेंगे।
जेएनयू मामला आरएसएस की देन : गिरिजा व्यास
गृहमंत्री के बयान पर उबालधीरे धीरे ये मामला सियासी रंग लेता नजर आ रहा है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक कथित नारेबाजी में लश्कर सरगना हाफिज सईद का हाथ है। वहीं गृहमंत्री के बयान पर कड़ा ऐतराज जताते हुए विपक्षी दलों को ये बताना चाहिए कि आखिर उन्हें .ये जानकारी कहां से मिली। वो देश को पूरा सच बताएं। हालांकि सरकार ने साफ कर दिया कि एजेंसियों से मिली पुख्ता जानकारी के बाद ये बात सामने आई कि भारत विरोधी अभियान सीमा पार से संचालित हो रहा है।
क्या है मामला
दरअसल 9 फरवरी को वामपंथी दलों से जुड़े संगठन आइसा और एआइएसएफ ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था। लेकिन उस कार्यक्रम में छात्रों ने सारी मर्यादा की तार तार कर रख दी। छात्रों ने तमाम सारे आपत्तिजनक नारे लगाए जो भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरे के तौर पर देखा गया। छात्रों के सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारत की बर्बादी, भारत को तोड़ने और आतंकी अफजल गुरू के समर्थन में नारेबाजी की गई। लेकिन बेलगाम छात्रों के समर्थन में सीपीएमस सीपीआई और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल कूद पड़े। विपक्ष के नेताओं ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश मौजूदा समय में दूसरे आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि देशद्रोह और राष्ट्र की अखंडता के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा।
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