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    दोगुने होंगे जज, जल्द मिलेगा न्याय

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    Updated: Mon, 09 Jun 2014 09:21 PM (IST)

    मोदी सरकार को यह बखूबी मालूम है कि व्यवस्था व तंत्र में लोगों का भरोसा कायम रखने के लिए उन्हें सुरक्षित माहौल के साथ ही त्वरित और सरल न्याय की गारंटी ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार को यह बखूबी मालूम है कि व्यवस्था व तंत्र में लोगों का भरोसा कायम रखने के लिए उन्हें सुरक्षित माहौल के साथ ही त्वरित और सरल न्याय की गारंटी भी देनी होगी। इसीलिए केंद्र सरकार ने शीघ्र व सुगम न्याय को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। लोगों को जल्द न्याय दिलाने के लिए जजों की संख्या दोगुनी करने के साथ ही वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों का विकास किया जाएगा। सरकार अंग्रेजों के समय के बने तमाम कानून व पुराने और गैरजरूरी ढांचे को भी खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

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    बीस साल बाद भोपाल गैस त्रासदी में फैसला आना व छेड़खानी की शिकार हरियाणा की रुचिका गिरहोत्रा को जब न्याय मिला तब तक आरोपी पुलिस का आला अधिकारी शीर्ष पद पर पहुंच कर सेवानिवृत हो चुका था। रुचिका अपने साथ हुए न्याय को देखने के लिए दुनिया में नहीं थी। देर से मिला न्याय नहीं कहलाता। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लंबित मुकदमों की समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का फैसला लिया है।

    संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण में प्रस्तुत मोदी सरकार के एजेंडे के मुताबिक, लंबित मुकदमों का ढेर खत्म करने व कार्यक्षमता सुधारने के लिए अदालतों का क्रमिक रूप से आधुनिकीकरण किया जाएगा। न्यायाधीशों के खाली पद भरे जाएंगे। अधीनस्थ न्यायपालिका में अदालतों व न्यायाधीशों की संख्या चरणबद्ध तरीके से दोगुना की जाएगी। मुकदमों का बोझ कम करने के लिए सरकार वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्रों के विकास पर भी बल देगी। अप्रचलित कानूनों, विनियमों, प्रशासनिक ढांचों व पद्धतियों को समाप्त करने के प्रयास किए जाएंगे।

    पढ़ें: न्याय का दूसरा पहलू