नौकरी खोजिए नहीं, दीजिए: प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति का स्किल, इनोवेशन, इंटरपेन्योर पर जोर, कहा- गरीबों को ऊंचा उठाने के लिए आगे आएं युवा।
रांची। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने युवाओं से जॉब सीकर्स (नौकरी खोजनेवाला) नहीं, जॉब क्रिएटर्स (नौकरी देनेवाला) बनने का आह्वान किया है। उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से भी ऐसे प्रोफेशनल तैयार कर देश के विकास में अपनी भूमिका निभाने की अपील की।
रांची के बिरला इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (बीआईटी-मेसरा) के 26वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति न केवल शैक्षणिक संस्थानों के लिए मार्गदर्शक बने, बल्कि छात्रों के लिए वे एक मंजे हुए शिक्षक के रूप में भी नजर आए। उनमें समाज के निचले तबके को ऊपर उठाने की ललक दिखी।
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राष्ट्रपति ने वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा में देश के पिछड़ेपन पर जहां चिंता जताई, वहीं इसमें आगे बढ़ने की संभावनाएं होने की बात कहते हुए शैक्षणिक संस्थानों को राह भी दिखाई। उनके दीक्षांत भाषण में स्किल डेवलपमेंट, इनोवेशन, इंटरपेन्योर तथा स्टार्ट अप पर जोर रहा।
उन्होंने अभियंताओं और अन्य प्रोफशनल्स को समाज के प्रति ईमानदार तथा आज्ञाकारी बनने की सीख दी। राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि प्रोफेशनल डिग्री पाने वाले युवा ग्रामीण विकास, कृषि तथा सिंचाई में अपने इनोवेटिव आइडिया का इस्तेमाल कर देश के विकास में योगदान देंगे।
नालंदा-विक्रमशिला जैसे विवि अब क्यों नहीं?
राष्ट्रपति ने विश्र्व के टॉप 200 विश्र्वविद्यालयों में देश के संस्थानों के शामिल नहीं हो पाने की चिंता लगातार दूसरे दिन भी प्रकट की। प्रणब ने कहा कि संतोष की बात बस इतनी है कि देश के दो संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बेंगलुरु और आईआईटी, दिल्ली ने विश्र्व के चुनिंदा दो सौ विश्र्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाया है।
उन्होंने याद दिलाई कि कभी बिहार के नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्र्वविद्यालय विश्र्व स्तरीय ज्ञान-दान के पुंज हुआ करते थे। आज इस तरह के विश्र्वविद्यालय क्यों नहीं हैं?
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