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    विश्व के TOP-200 में हों भारत के विश्वविद्यालय : प्रणब मुखजी

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jan 2016 08:45 PM (IST)

    राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि विश्व के प्रथम 200 शैक्षणिक संस्थानों में भारत के विश्वविद्यालय हों। यह भारत को शीर्ष पर ले जाने के लिए जरूरी है। यहां योग्यता की कोई कमी नहीं, सिर्फ उच्चस्तरीय मोटिवेशन की जरूरत है।

    हजारीबाग। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि विश्व के प्रथम 200 शैक्षणिक संस्थानों में भारत के विश्वविद्यालय हों। यह भारत को शीर्ष पर ले जाने के लिए जरूरी है। यहां योग्यता की कोई कमी नहीं, सिर्फ उच्चस्तरीय मोटिवेशन की जरूरत है।

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    शनिवार को झारखंड के हजारीबाग में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में पूर्ण रूप से गुरु की भूमिका में दिख रहे राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को जीवन के मंत्र भी दिए-'फादर इज गॉड, मदर इज गॉड एंड आचार्या इज गॉड।' ज्ञान को शक्ति बताते हुए कहा कि अपनी दक्षता बढ़ाते रहें, हमेशा आगे देखें, ताकि अवसर पर विजय प्राप्त हो।

    राष्ट्रपति का पूरा अभिभाषण शिक्षा और विकास पर केंद्रित था। उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि क्लीन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू हुई हैं। इसमें विश्र्वविद्यालयों की महती भूमिका अपेक्षित है।

    भारत ज्ञान के क्षेत्र में कभी दुनिया का गुरु था। यहां विक्रमशिला, नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में पढ़ने दूसरे देशों से विद्यार्थी आते थे। उच्च शिक्षा की दिशा में कुछ नया करने और सोचने की जरूरत है। भारत की प्रतिभा को यहीं आगे बढ़ने का अवसर मिले, शोध को निरंतर प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

    राष्ट्रपति ने 1995 व 2006 के दीक्षांत समारोह की भी चर्चा की, जिसमें वे शरीक हुए थे। उन्होंने झारखंड की धरती को महान बताते हुए इसे प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों से समृद्ध बताया, जहां शोषण, गरीबी और उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ते हुए वीरों ने बलिदान दिया।

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