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अंडरव‌र्ल्ड डॉन ने खुद को बताया सच्चा देशभक्त, कहा- आतंक से लड़ रहा हूं

कोर्ट में दिए बयान में छोटा राजन ने कहा कि वह वर्षों से खुद आतंकवाद के खिलाफ लड़ता रहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 08 Sep 2016 12:23 AM (IST)Updated: Thu, 08 Sep 2016 06:30 AM (IST)

नई दिल्ली[संदीप गुप्ता]। भारत में हत्या, अवैध वसूली, तस्करी जैसे 70 से अधिक मामलों के आरोपी अंडरव‌र्ल्ड डॉन राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन का मंगलवार को अदालत में देशभक्त का चेहरा देखने को मिला। कोर्ट में दिए बयान में छोटा राजन ने कहा कि वह वर्षों से खुद आतंकवाद के खिलाफ लड़ता रहा है। अगर उसकी जुबान खुली तो उच्च पदों पर बैठे बड़े अफसरों की पोल खुल जाएगी और देश की भारी बदनामी होगी।

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राजधानी की पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई जज विनोद कुमार के समक्ष फर्जी पासपोर्ट मामले में सभी आरोपियों के बयान दर्ज होने की कार्यवाही की गई। राजन से हुई जिरह के दौरान उससे 100 से अधिक सवालों के जवाब मांगे गए। अधिकतर सवालों का जवाब उसने नहीं पता या जानकारी नहीं है कहते हुए दिया। निजी लाभ के लिए फर्जी पासपोर्ट का उपयोग नहीं

इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तारी के वक्त उसके पास से बरामद हुए मोहन कुमार के नाम के पासपोर्ट का इस्तेमाल उसने कभी भी अपने निजी लाभ के लिए नहीं किया। राजन ने कहा कि आतंकवाद और दाऊद इब्राहिम के खिलाफ काम कर रही सभी जांच एजेंसियों की हर संभव मदद करता आया हूं। मैं उन अफसरों के नाम रिकॉर्ड पर नहीं लाना चाहूंगा जो आतंकवाद संबंधित मामलों में गलत गतिविधियों में लिप्त हैं। ऐसा करने से देश का नाम खराब होगा। छोटा राजन ने अदालत में कहा कि फर्जी पासपोर्ट मामले में मेरे खिलाफ सभी आरोप बेबुनियाद हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा वह सभी दस्तावेज जिन पर मेरे हस्ताक्षर दर्शाए गए हैं वह गलत हैं।

दाऊद ने मुझ पर कराए हमले

राजन ने कहा कि दाऊद इब्राहिम ने उस पर दुबई में हमला कराया था। इसके बाद वह बैंकॉक चला गया था, लेकिन वहां भी उस पर हमला कराया गया। अपनी पहचान छुपाने के मकसद से उसे मोहन कुमार के नाम का पासपोर्ट दिया गया था। राजन ने कहा कि मैंने अपनी पहचान छुपाई ताकि मैं अपने देश की रक्षा के काम में जुटी जांच एजेंसियों की मदद कर सकूं। हालांकि उसने यह भी स्पष्ट कहा कि जिस समय यह फर्जी पासपोर्ट बनाया गया था, वह भारत में नहीं था।

मुंबई पुलिस पर लगते रहे आरोप

ज्ञात हो कि पहले भी मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर दाऊद इब्राहिम और राजन की मदद करने के आरोप लगते रहे हैं। बीते वर्ष इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तारी के बाद अक्टूबर माह में राजन को करीब 27 साल बाद वापस भारत लाया जा सका था।

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