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    ऐसे तैयार होते हैं देश के जांबाज 'पैरा कमांडोज'

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Wed, 10 Jun 2015 03:32 PM (IST)

    मणिपुर में उग्रवादियों ने भारतीय सेना के खिलाफ जब बड़ा हमला किया तो इस पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया जरूरी थी। इस अभियान से जुड़े अब तक मिले ब्योरे के मुताबिक़ भारतीय सेना ने सीमा पार कर म्यांमार में कार्रवाई की और उग्रवादियों को उनकी नानी याद दिला दी।

    नई दिल्ली। मणिपुर में उग्रवादियों ने भारतीय सेना के खिलाफ जब बड़ा हमला किया तो इस पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया जरूरी थी। इस अभियान से जुड़े अब तक मिले ब्योरे के मुताबिक़ भारतीय सेना ने सीमा पार कर म्यांमार में कार्रवाई की और उग्रवादियों को उनकी नानी याद दिला दी। इस अभियान में पैरा कमांडोज की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण थी ये बताने की जरूरत नहीं है। सेना ने उन्ही के दम पर इस अभियान के सफल बनाया।

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    कैसे बनते हैं स्पेशल फोर्स के पैरा कमांडो

    दुश्मन के इलाके में घुसकर घात लगाकर हमला करना हो या आतंकवादियों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन आसमान से छलांग लगाने वाले ये पैरा कमांडो हर मोर्चे पर सबसे आगे हैं। आज देश की सेनाओं के पास आसमान से धावा बोलने वाले दो हजार घातक पैरा कमांडो हर वक्त तैयार हैं। पैरा ट्रेनिंग स्कूल आगरा में तैयार हो रहे ये पैरा कमांडो देश की तीनों सेनाओं के लिए कितने अहम् हैं इसका अंदाजा इस बात से लगया जा सकता है कि 1971 की भारत-पाक जंग में 700 पैरा कमांडो ने लड़ाई का रुख बदल दिया था।

    कैसी होती है इनकी ट्रेनिंग

    आसमान में 5 हजार से लेकर 30 हजार फीट तक की ऊंचाई से छलांग लगाकर दुश्मन का खात्मा करने वाले पैरा कमांडो की ट्रेनिंग काफी कड़ी होती है। आसमान से छलांग लगाने से पहले जमीन पर कड़ी ट्रेनिंग होती है। ये ट्रेनिंग 15 दिन की होती है। अलग अलग चरणों में ये ट्रेनिंग काफी खतरनाक होती है जो एक पैरा कमांडो को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है।

    पैराशूट के सहारे होती है जिंदगी

    आसमान में हजारों फीट की ऊंचाई पर एक पैरा कमांडो की जिंदगी पैराशूट के सहारे होती है। पैराशूट को लेकर छोटी सी गलती का मतलब मौत है। पैरा कमांडो का सबसे अहम् हथियार उसका पैराशूट होता है। पैराशूट को आसमान में सही समय पर खोलने की ट्रेनिंग सबसे अहम् होती है।

    एक पैरा कमांडो के पास दो पैराशूट होते हैं। पहला पैराशूट जिसका वजन 15 किलोग्राम होता है जबकि दूसरा रिजर्व पैराशूट जिसका वजन 5 किलोग्राम होता है। पैराशूट की कीमत 1 लाख से लेकर 2 लाख तक होती है। पैरा कमांडो को कई तरह की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना होता है। इस ट्रेनिंग में अगर किसी ऊँची बिल्डिंग के अन्दर आतंकी छुपे हों तो कैसे उन्हें खत्म करना है।


    हर हालात से निपटने में महारत हासिल करनी होती है

    पैरा कमांडो को हर हालात से निपटने में महारत हासिल करनी होती है। एक और अहम् ट्रेनिंग है दुश्मन पर नजदीक से घात लगाकर हमला करना। ये सबसे ज्यादा खतरनाक ट्रेनिंग है। घने जंगल के बीच में दुश्मन पर घात लगाकर हमला किया जाता है। इसके लिए नजदीक से दुश्मन पर गोली मारने की ट्रेनिंग काफी अहम् होती है।

    जितनी ज्यादा ऊंचाई से छलांग लगाई जाएगी उतनी ही दूर तक दुश्मन के इलाके को कवर किया जा सकता है। पैराशूट और हथियार का वजन मिलाकर एक कमांडो अपने साथ 40 से 50 पचास किलोग्राम वजन ले जाता है। जब पैरा कमांडो को किसी स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देने का हुक्म मिलता है तो उसके लिए काफी तैयारी की जाती है। सबसे पहले खुफिया सूचना के आधार पर ऑपरेशन प्लान तैयार किया जाता है। कहां पैरा कमांडो को गिरना है और किस इलाके में दुश्मन पर धावा बोलना है।

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