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फाइलों से संकेत,बंगाल के आश्रम में भंडारी नाम से रहते थे नेताजी

नेताजी को लेकर रहस्य अभी भी बरकरार है। कभी गुमनामी बाबा तो अब शालुमरी बाबा। बताया जाता है कि सुभाष चंद्न बोस उत्तर बंगाल के एक आश्रम में के के भंडारी के नाम से रह रहे थे।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 08:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 01:42 PM (IST)
फाइलों से संकेत,बंगाल के आश्रम में भंडारी नाम से रहते थे नेताजी

हैदराबाद। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में अलग-अलग तरह की खबरें आती रही हैं। कुछ लोग कहते हैं कि नेता जी फैजाबाद में गुमनामी बाबा के नाम से रहते थे। लेकिन अब एक नयी जानकारी के मुताबिक 1960 के दशक में वो के के भंडारी के नाम से उत्तर बंगाल के शालुमरी आश्रम में रहा करते थे। 27 मई को सार्वजनिक किए गए कुछ दस्तावेजों के मुताबिक 1960 के दशक में शीर्ष अधिकारी इस व्यक्ति के संबंध में बातें किया करते थे। हालांकि बाद के दस्तावेजों में इस शख्स के बारे में जिक्र नहीं है।

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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस तरह के कयासों की शुरुआत तब हुई। जब वर्ष 1963 में शालुमरी आश्रम के सेक्रेटरी रमानी रंजन दास ने पीएम जवाहर लाल नेहरू को इस संबंध में एक पत्र लिखा था। इस पत्र के तत्काल बाद पीएम के प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी के राम ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के डॉयरेक्टर बी एन मलिक को भेजे गए मेमो में के के भंडारी नाम के शख्स का जिक्र था। 12 जून 1963 को बी एन मलिक ने टॉप सेक्रेट नोट III(51)/63(6) के जरिए जवाब दिया। 7 सितंबर 1963 को एक बार फिर पीएमओ ने टॉप सिक्रेट नोट में इस सिलसिले में जिक्र किया गया। 11 नवंबर 1963 को इंटेलिजेंस ब्यूरो को रिमांइडर भेजा जिसका जवाब 16 नवंबर को आइबी ने भेजा। करीब 37 साल तक शालुमरी आश्रम वाले के के भंडारी पर सस्पेंस कायम रहा।

वर्ष 2000 में मुखर्जी आयोग के दबाव के बाद उन दस्तावेजों को टॉप सेक्रेट से हटाकर सेक्रेट कैटेगरी में डाले जाने का दबाव बनाया। 5 जुलाई 2000 को अंडर सेक्रेटरी(एनजीओ) लिखते हैं कि मेमो को डाउनग्रेड करने के बारे में जब जिक्र किया गया तो उस वक्त डॉयरेक्टर(ए) के साथ-साथ अंडर सेक्रेटरी ( पोलिटिकल) भी मौजूद थे। उस बैठक में 12 जून 1963 और 16 नवंबर 1963 के फाइलों को टॉप सेक्रेट से सेक्रेट में डाउनग्रेड करने का फैसला किया गया।

शालुमरी बाबा के आगमन से 1963 में पूरे देश में एक बार फिर चर्चा शुरु हो गयी कि नेता जी एक बार फिर आ चुके हैं। हालांकि मुखर्जी आयोग ने साफ तौर पर कहा कि के के भंडारी नाम के शख्स नेता जी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे। इस मामले में सच जो भी हो एक बात तो साफ है कि 1960 के दशक में शालुमरी आश्रम में के के भंडारी नाम के शख्स रहा करते थे।


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