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    भारत का पत्र दरकिनार कर हुई देवयानी की गिरफ्तारी

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    Updated: Mon, 17 Feb 2014 09:10 AM (IST)

    न्यूयॉर्क में भारतीय महिला राजनयिक देवयानी खोबरागडे की सरेआम गिरफ्तारी और उसके बाद भारत-अमेरिका रिश्तों में आई कड़वाहट तो सबने देखी, लेकिन गिरफ्तारी से पहले इस मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रलयों के बीच चला पत्रचार बताता है कि अमेरिकी खेमा पहले ही कुछ सोचे बैठा था। भारत की ओर से अमेरि

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूयॉर्क में भारतीय महिला राजनयिक देवयानी खोबरागडे की सरेआम गिरफ्तारी और उसके बाद भारत-अमेरिका रिश्तों में आई कड़वाहट तो सबने देखी, लेकिन गिरफ्तारी से पहले इस मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रलयों के बीच चला पत्राचार बताता है कि अमेरिकी खेमा पहले ही कुछ सोचे बैठा था। भारत की ओर से अमेरिका को 8 अक्टूबर, 2013 को ही स्पष्ट कर दिया गया था कि देवयानी और घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड का विवाद दो भारतीयों का मसला है। इसमें अमेरिकी कानून का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है।

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    देवयानी मामले में भारतीय दूतावास की ओर से अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण व मध्य एशिया विभाग के नाम भेजा गया यह पत्र बताता है कि भारत ने 24 जुलाई, 2013 को संगीता रिचर्ड के देवयानी का घर छोड़ लापता होने की सूचना दी थी। इतना ही नहीं पत्र में वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास की ओर से भेजे गए एक नोट में संगीता की गुमशुदगी की चिट्ठी से लेकर मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को भी बता दिया था। अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 4 सितंबर, 2013 को भारतीय दूतावास से संगीता रिचर्ड द्वारा लगाए गए आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था। इसके जवाब में ही भारतीय दूतावास ने 8 अक्टूबर को भेजे चार पन्ने के जवाब में पूरे घटनाक्रम के साथ ही मामले में भारत सरकार का कानूनी पहलू भी समझा दिया था। साथ ही भारत सरकार ने अमेरिकी विदेश विभाग को संगीता को खोजकर वापस भेजने और मामले में अपनी ओर से पूरी गंभीरता बरतने का भी भरोसा दिया था। अमेरिका ने भारत की दलीलों को रहस्यमय तरीके से दरकिनार कर दिया। इसके बाद अचानक संगीता रिचर्ड के परिवार को 10 जनवरी को नई दिल्ली से अमेरिका बुला लिया गया। 12 जनवरी को देवयानी को गिरफ्तार किया गया। भारतीय खेमा देवयानी के राजनयिक विशेषाधिकारों को दरकिनार कर गिरफ्तार करने और भारत सरकार की दलीलों की अनदेखी पर खफा है। भारत का कहना है कि संगीता भारतीय विदेश सेवा (पीसीएलए) नियमों की सेवा शर्तो के तहत काम कर रही थी।

    कूटनीतिक गतिरोध के समाधान में निकले गलियारों के सहारे बाद में देवयानी को राजनयिक विशेषाधिकार के तहत गिरफ्तारी से बचाकर भारत लाया गया। मामले में 8 फरवरी, 2014 को देवयानी के वकील डेनियल अर्शेक ने मैनहट्टन की अदालत में देवयानी के खिलाफ मामला खत्म करने की अपील की है।

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