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    पत्नी के शव को कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हुआ यह शख्स

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Thu, 25 Aug 2016 09:00 PM (IST)

    एक जनजातीय व्यक्ति ने अपने 12 वर्षीय बच्ची के साथ पत्नी के शव को कंधे पर करीब 10 किलोमीटर तक ढोया।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, भुवनेश्वर । पत्नी अपने आखिरी सफर में पति के कंधे पर थी। साथ में रोती-बिलखती 12 साल की बेटी। ओडिशा के कालाहांडी जिले में एक आदिवासी व्यक्ति जिला अस्पताल से अपने गांव जा रहा था। दूरी के हिसाब से भी सफर लंबा था। लगभग 60 किलोमीटर। 10 किलोमीटर तक वह अपनी पत्नी के शव को कंधे पर ढोता रहा।

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    इसके बाद कुछ संवाददाताओं ने उसे देखा। उस व्यक्ति ने सारी कहानी सुनाई। संवाददाताओं ने जिला कलेक्टर को फोन किया। सफर के बाकी हिस्से के लिए उसे एंबुलेंस मुहैया करा दी गई। दाना मांझी के साथ घटी यह घटना किसी भी सरकारी योजना और उसका लाभ आम आदमी तक पहुंचने के बीच के गैप को भलीभांति बयान करता है। मामला मीडिया में आने के बाद राज्य सरकार ने घटना की जांच का आदेश दे दिया है। बुधवार सुबह लोगों ने दाना मांझी को अपनी पत्नी अमंग देई के शव को कंधे पर लादकर ले जाते हुए देखा।

    42 वर्षीय अमंग देई की मंगलवार रात को भवानीपटना के जिला मुख्यालय अस्पताल में टीबी से मौत हो गई थी। नवीन पटनायक की सरकार ने इसी फरवरी में 'महापरायण' योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सरकारी अस्पताल में किसी की मौत होने पर शव को घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त परिवहन की सुविधा दी जाती है। लेकिन दाना मांझी को यह सुविधा नहीं मिली।

    वह अधिकारियों से गुहार लगाता रहा। कहता रहा कि उसके पास गाड़ी वालों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। मांझी ने बताया कि तमाम कोशिशों के बावजूद उसे अस्पताल के अधिकारियों ने गाड़ी मुहैया कराने से इन्कार कर दिया। इसलिए उसने पत्नी के शव को एक कपड़े में लपेटा और कंधे पर लादकर अपने गांव पैदल विदा हो गया।

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