छुंट्टियां न मिलने पर विवाहेतर रिश्तों की ओर आकर्षित हो सकते हैं फौजी
नई दिल्ली [जाब्यू]। सेना के अफसरों और जवानों को छुंट्टी नहीं दी गई तो इससे उनके विवाहेतर संबंधों की ओर बढ़ने और चरम स्थितियों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की हद तक पहुंचने की आशंका है। यह आकलन सेना की ओर से कराए एक अध्ययन में सामने आया है। सेना की 12 कोर के द्वारा गए इस अध्ययन में यह माना गया कि सही समय पर मिलने वाली छुंिट्टयां
नई दिल्ली [जाब्यू]। सेना के अफसरों और जवानों को छुंट्टी नहीं दी गई तो इससे उनके विवाहेतर संबंधों की ओर बढ़ने और चरम स्थितियों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की हद तक पहुंचने की आशंका है। यह आकलन सेना की ओर से कराए एक अध्ययन में सामने आया है।
सेना की 12 कोर के द्वारा गए इस अध्ययन में यह माना गया कि सही समय पर मिलने वाली छुंिट्टयां एवं अनुशासन और आत्मनियंत्रण का प्रशिक्षण फौजियों में नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित कर सकता है। सेना में महिलाओं के सम्मान और कन्या शिशु की बेहतर देखभाल की योजना को लेकर कराए गए अध्ययन में इस बात को रेखांकित किया गया कि सैन्य ड्यूटी के कारण पत्नी से दूरी, घर से दूरी, छुंिट्टयों से इन्कार फौजियों को विवाहेतर संबंधों की ओर आकर्षित कर सकता है। चरम स्थितियों में सैनिक महिलाओं से फ्लर्ट या उनसे बदसलूकी जैसी स्थिति में भी लिप्त हो सकते हैं। हालांकि, अध्ययन में सिफारिश की गई है कि अगर फौजी महिलाओं के साथ बदसलूकी या उनका अपमान करने के किसी मामले में कोई सैन्यकर्मी लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सिफारिशों के मुताबिक महिलाओं या बालिकाओं की मर्यादा से जुड़े किसी मामले में किसी फौजी के दोषी पाए जाने पर कमांडिंग अधिकारी अविलंब कार्रवाई करें तथा कोई रियायत न बरती जाए। जोधपुर स्थित 12वीं कोर ने मार्च 2013 में इस तरह का अध्ययन कराने के आदेश दिए थे।
अध्ययन में कामकाज के स्थान पर महिलाओं के सामने पेश आने वाले लैंगिक भेदभाव, यौन हिंसा, कन्याओं से बाल श्रम एवं दहेज संबंधी मामलों को अपराध की श्रेणी में रखा है। महत्वपूर्ण है कि सेना में विवाहेतर संबंध भी अपराध की श्रेणी में है। गत दिनों रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं को भद्दे संदेश भेजने व साथी अधिकारी की पत्नी से संबंध बनाने के मामले पर नौसेना के दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।
महत्वपूर्ण है कि सेना में छुंिट्टयों की अनुपलब्धता के कारण फौजियों पर दबाव का मुद्दा उस समय भी सामने आया था जब दिल्ली में एक जवान पानी की टंकी पर तीन दिन तक चढ़ा रहा था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में सेना की एक यूनिट में एक जवान के आत्महत्या के बाद अधिकारियों व जवानों के तनाव ने भी इस मुद्दे की गंभीरता को पेश किया था। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष सेना की कमान संभालने के बाद सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने इस मामले को खासी गंभीरता से लेते हुए मामले पर सभी कोर प्रमुखों को जवानों की छुंट्टी व अनुशासन के मुद्दे पर संवेदनशीलता बरतने के कहा था। रक्षा मंत्री एके एंटनी भी जवानों की छुंिट्टयों के आवेदनों पर नरमी से विचार किए जाने की हिदायत दे चुके हैं।
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