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दिल्ली को केंद्र के निर्णय का इंतजार, हो चुनाव या बने सरकार

सूबे में सरकार बनाने के पक्षधर भाजपा विधायकों को भले ही दीपावली पर सरकार का तोहफा मिलने की उम्मीद रही हो लेकिन राजधानी की सियासत की पहेली फिलहाल सुलझती नहीं दिख रही है। राजनिवास को अब भी राष्ट्रपति के फैसले का इंतजार है। आपको बता दें कि राजधानी की सियासी किस्मत तय करने को लेकर दो स्तरों

By manoj yadavEdited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 08:01 AM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 08:53 AM (IST)
दिल्ली को केंद्र के निर्णय का इंतजार, हो चुनाव या बने सरकार

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सूबे में सरकार बनाने के पक्षधर भाजपा विधायकों को भले ही दीपावली पर सरकार का तोहफा मिलने की उम्मीद रही हो लेकिन राजधानी की सियासत की पहेली फिलहाल सुलझती नहीं दिख रही है। राजनिवास को अब भी राष्ट्रपति के फैसले का इंतजार है।

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आपको बता दें कि राजधानी की सियासी किस्मत तय करने को लेकर दो स्तरों पर निर्णय लिया जाना है। सबसे पहले विधानसभा में सबसे बड़े दल भाजपा को यह तय करना है कि वह नए सिरे से चुनाव मैदान में उतरना पसंद करेगी अथवा अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाएगी। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्रिमंडल को उपराज्यपाल नजीब जंग की उस सिफारिश पर निर्णय लेना है जिसमें जंग ने दिल्ली विधानसभा को भंग करने के बजाय सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का एक मौका देने की सिफारिश की है। राष्ट्रपति ने इस मामले को गृह मंत्रालय के पास भेजा हुआ है। अब गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद ही राष्ट्रपति उपराज्यपाल को अपना संदेश भेजेंगे। जाहिर तौर पर दोनों ही स्तरों पर फैसला भाजपा के बड़े नेताओं को ही लेना है क्योंकि केंद्र में भाजपा की ही सरकार है और दिल्ली में भी उसकी ही सरकार बननी है।

भाजपा के आला नेता फिलहाल हरियाणा और महाराष्ट्र में सरकार के गठन में व्यस्त हैं। ऐसी उम्मीद नहीं है कि अगले एक-दो दिन में दिल्ली को लेकर कोई निर्णय होगा। दिल्ली पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए सरकार के पास 28 अक्टूबर तक का वक्त है। ऐसे में ज्यादा संभावना यह है कि दीपावली बीतने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

भाजपा के दिल्ली के नेताओं के बयान से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि आखिर पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी अथवा उसका सरकार बनाने का इरादा बरकरार है। भाजपा के नेता यह दावा करते रहे हैं कि पार्टी चुनाव से भागने वाली नहीं है और वह ताल ठोक कर मैदान में उतरने को तैयार है। लेकिन सरकार बनाने के विकल्प को अभी पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा रहा है।

भाजपा विधायकों ने की मध्यावधि चुनाव की मांग

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम से भाजपा नेता उत्साहित हैं और दिल्ली में मध्यावधि चुनाव की मांग कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि विधानसभा भंग कर चुनाव की घोषणा करने का यह सही समय है। इसलिए इस बारे में शीघ्र फैसला लिया जाना चाहिए। डॉ. नंद किशोर गर्ग, आरपी सिंह सहित कई विधायकों का कहना है कि दिल्ली में चुनाव एकमात्र विकल्प है।

हालांकि, आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने की मुहिम में जुटे कुछ विधायकों ने अभी भी आस नहीं छोड़ी है। वे अभी भी पार्टी हाईकमान से सरकार बनाने की पैरवी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि जब दूसरी पार्टियों के विधायक समर्थन देने के लिए तैयार हैं तो फिर से दिल्लीवासियों पर चुनाव थोपना अनुचित है। उपराज्यपाल भी राष्ट्रपति को इस बारे में अपनी सिफारिश भेज चुके हैं। इसलिए दिल्ली के हित में सरकार के गठन का फैसला जल्द लिए जाने की जरूरत है। इस स्थिति में सभी निगाहें पार्टी हाईकमान पर टिकी हुई हैं, लेकिन इस बारे अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।

दिल्ली प्रदेश के भाजपा नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इस समय महाराष्ट्र व हरियाणा में सरकार के गठन में व्यस्त है। इसलिए दिल्ली के बारे में निर्णय लेने में देर होने की संभावना है।

संभावना है कि इस सप्ताह दोनों राज्यों में सरकार बन जाएगी। उसके बाद निश्चित रूप से दिल्ली पर चर्चा होगी और दिल्लीवासियों के हित में जो भी उचित होगा वह फैसला लिया जाएगा। इस स्थिति में दीपावली तक दिल्ली के भविष्य को लेकर असमंजस बरकरार रहने की संभावना है।

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