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    हरियाणा-महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली पर फैसले की बारी

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Mon, 20 Oct 2014 08:11 AM (IST)

    दिल्ली की सियासी किस्मत पर औपचारिक फैसले का ऐलान होना अभी बाकी है। विधानसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव होंगे या कोई सरकार बनेगी, इसका फैसला अभी लिया जाना है लेकिन हरियाणा व महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से दिल्ली में चुनाव की आहट जरूर तेज हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि दो महत्वपूर्ण राज्यों में

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की सियासी किस्मत पर औपचारिक फैसले का ऐलान होना अभी बाकी है। विधानसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव होंगे या कोई सरकार बनेगी, इसका फैसला अभी लिया जाना है लेकिन हरियाणा व महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से दिल्ली में चुनाव की आहट जरूर तेज हो गई है।

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    ऐसा माना जा रहा है कि दो महत्वपूर्ण राच्यों में मिली शानदार जीत के बाद भाजपा के लिए अब दिल्ली का किला फतह करना भी मुश्किल नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू के दम पर पार्टी दिल्ली में भी अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी।

    सूबे के सियासत में बीते कुछ दिनों से यह चर्चा आम थी कि भाजपा दिल्ली की सियासी किस्मत को लेकर अपने पत्ते महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद खोलेगी। इसका आशय यही था कि यदि दोनों राच्यों में पार्टी को विजय मिली तो दिल्ली में भी वह जोड़तोड़ करने के बजाय चुनाव मैदान में उतरना पसंद करेगी। जाहिर तौर पर रविवार को आए दो राच्यों के चुनावी नतीजे दिल्ली में चुनाव की गवाही दे रहे हैं। दिल्ली से भाजपा के विधायक नंद किशोर गर्ग ने कहा भी कि सूबे में जनवरी में चुनाव कराए जा सकते हैं।

    हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो. जगदीश मुखी ने कहा कि इस मामले में फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है। उन्होंने निजी चैनलों से बातचीत में यह दावा भी किया कि यदि केंद्रीय नेतृत्व इजाजत दे तो दिल्ली में आगामी 72 घंटों में सरकार बन जाएगी। दिल्ली को लेकर भाजपा में भी दो गुट हैं। एक तरफ तमाम विधायक हैं जो यह मानते हैं कि यदि सरकार बन सकती है तो तत्काल चुनाव मैदान में नहीं उतरना चाहिए तो दूसरी ओर उन नेताओं की कमी भी नहीं है जो जोड़तोड़ के बदले चुनाव जीत कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के पक्षधर हैं।

    भाजपा को सरकार बनाने के लिए जरूरत तो कुल पांच विधायकों की ही है लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में तोड़फोड़ किए बगैर यह सरकार नहीं बन सकती। यदि सरकार बनती है तो भाजपा पर यह आरोप लगना तय है कि उसने दूसरे दलों में तोड़फोड़ की। यह दीगर बात है कि कांग्रेस के कम से कम पांच और आम आदमी पार्टी के चार विधायक खुद ही भावी सरकार को समर्थन देने की कतार में हैं।

    आज राजनिवास से मिल सकती है सूचना

    उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो उपराच्यपाल नजीब जंग द्वारा सबसे बड़े दल के तौर पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने के विकल्प पर विचार करने के मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को फैसला अभी लेना है।

    सोमवार को इस बारे में राजनिवास को सूचना प्राप्त होने की उम्मीद है। अब देखना यह महत्वपूर्ण है कि उपराच्यपाल से न्योता मिलने पर भाजपा उसे स्वीकार करती है या उसे अस्वीकार कर चुना मैदान में उतरने का फैसला करती है।

    मुखी को गद्दी दिलाएगी हरियाणा की मेहनत?

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे के दम पर पड़ोसी राच्य हरियाणा में मिली शानदार जीत से दिल्ली के भाजपाई भी खिले हुए हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद बधाइयां दिनभर दिल्ली में भी बंटती रहीं, लेकिन सबसे ज्यादा बधाई भाजपा विधायक प्रो. जगदीश मुखी ने बटोरी। हरियाणा के चुनाव में दिल्ली के कई सांसदों, विधायकों और पार्षदों ने पसीना बहाया। लेकिन भाजपा की ओर से हरियाणा का चुनाव प्रभारी होने की वजह से प्रो. मुखी की जिम्मेदारी भी ज्यादा थी और बीते छह माह से उन्होंने पड़ोसी राच्य में पूरी ताकत भी लगा रखी थी। लिहाजा, वहां मिली शानदार जीत से मुखी के करियर के ग्राफ का चमकना भी तय है।

    सूबे के सियासी गलियारों में सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या हरियाणा में मिली शानदार जीत का श्रेय मुखी दिल्ली में ले पाएंगे। दिल्ली की सियासत भी भंवर में फंसी हुई है। चुनाव के विकल्प के साथ-साथ बीते चार महीने से राजधानी में भाजपा की अगुवाई में सरकार बनाने की कोशिशें भी चलती रही हैं। यह भी कहा जाता रहा है कि दिल्ली में सरकार बनती है तो प्रो. मुखी मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार हैं। लिहाजा, अब जबकि दिल्ली की गद्दी का फैसला होना है तो लाजिमी तौर पर यह पूछा जा रहा है कि क्या भाजपा मुखी को हरियाणा का पुरस्कार दिल्ली में देगी।

    विधायक दल के नेता का नहीं हुआ चुनाव1सनद रहे कि डॉ. हर्षवर्धन के सांसद बनने के बाद से दिल्ली भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं हुआ। जाहिर तौर पर प्रो. मुखी इस पद के अहम दावेदार हैं। जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला करती है तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह मुखी को मुख्यमंत्री बनाती है या नहीं। दूसरी ओर यदि चुनाव मैदान में जाने का फैसला हुआ तो यह देखना होगा कि भाजपा किसके नेतृत्व में दिल्ली का चुनाव लड़ती है।

    -प्रो.जगदीश मुखी

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