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    बिजली कंपनियों के लिए नए लाइसेंस जारी कर सकती है दिल्ली सरकार

    By Edited By:
    Updated: Wed, 05 Feb 2014 03:28 PM (IST)

    दिल्ली में बिजली आपूर्ति कर रही निजी बिजली कंपनियों ने केजरीवाल सरकार पर सीधे सीधे हमला करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा उनके लाइसेंस रद करने की सिफारिश पूरी तरह अवैध है। उधर, केजरीवाल ने मंगलवार को उपराज्यपाल को पत्र लिख कर कंपनियों के लाइसेंस रद करने की सिफारिश की जानकारी दी है। सोमवार को स

    नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली की आपूर्ति कर रही निजी बिजली कंपनियों को दिल्ली की केजरीवाल सरकार झटका दे सकती है। दरअसल सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से दिल्ली के उपराज्यपाल को एक पत्र लिखकर बिजली आपूर्ति में संकट पैदा करने वाली और पैसे की कमी का बहाना बनाने वाली निजी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की मंाग की थी। इस बात पर निजी बिजली कंपनियों ने कड़ा विरोध जताया था। सूत्रों के मुताबिक इस बात से नाराज होकर केजरीवाल सरकार अब उनके लाइसेंस करके नए लाइसेंस जारी करना चाहती है। इसके लिए तीन कंपनियों से बातचीत भी चल रही है। वे कौन सी कंपनियां हैं? इस बात का खुलासा होना बाकी है।

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    गौरतलब है कि दिल्ली में बिजली आपूर्ति कर रही निजी बिजली कंपनियों ने केजरीवाल सरकार पर सीधे सीधे हमला करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा उनके लाइसेंस रद करने की सिफारिश पूरी तरह अवैध है। उधर, केजरीवाल ने मंगलवार को उपराज्यपाल को पत्र लिख कर कंपनियों के लाइसेंस रद करने की सिफारिश की जानकारी दी है।

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    सोमवार को सरकार की ओर से ऊर्जा सचिव ने डीईआरसी (दिल्ली विद्युत नियामक आयेाग) को पत्र लिख कर सिफारिश की थी कि यदि कंपनियां पैसा न होने का बहाना कर 10 फरवरी से बिजली कटौती के फैसले पर अड़ी रहती हैं तो उनका लाइसेंस रद कर दिया जाए।

    सोमवार सुबह इस मुद्दे पर डीईआरसी द्वारा बीएसईएस की दोनों कंपनियों के सीईओ को बुलाया गया और उनसे बातचीत की गई। उन्हें सरकार के पत्र के बारे में जानकारी दी गई और दो दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया। डीईआरसी से लौटने के बाद शाम को दोनों कंपनियों की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार द्वारा लाइसेंस रद करने की सलाह मनमानीपूर्ण और अवैध है। इससे हमारे हजारों कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा।

    बीएसईएस का कहना है कि बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए दो माह पहले डीईआरसी ने एक कमेटी गठित की थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने अब तक उस कमेटी में अपना प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया है। कंपनियों ने उम्मीद जताई कि कानूनों, नियमों और नियमावली के हिसाब से, इस मसले पर डीईआरसी स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ेगा। दिल्ली सरकार का प्रस्तावित कदम बिजली सुधारों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। इसका देश के आर्थिक विकास पर भी नकारात्मक असर पड़ना तय है। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि डीईआरसी द्वारा घोषित की जाती रही अवास्तविक बिजली दरों की वजह से बीएसईएस के 15 हजार करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से वसूल नहीं किए जा सके हैं। भुगतान का वर्तमान संकट सिर्फ इसी वजह से उत्पन्न हुआ है क्योंकि डीईआरसी ने कंपनी को टैरिफ [बिजली दरों] के माध्यम से पिछले बकाये की वसूली की अनुमति नहीं दी।1उधर, सरकार ने बिजली कंपनियों के लाइसेंस रद करने की कार्रवाई पर आगे बढ़ते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग को पत्र भेजा है।

    मुख्यमंत्री ने इस पत्र में उपराज्यपाल को बताया है कि बिजली कंपनियां दिल्ली में बिजली संकट पैदा करना चाहती हैं, इसलिए सरकार ने डीईआरसी से कहा है कि बिजली अधिनियम के तहत इन कंपनियों के लाइसेंस रद किए जाएं।

    टाटा पावर ने मांगे 110 करोड़

    उत्तरी दिल्ली में बिजली आपूर्ति कर रही कंपनी टाटा पावर दिल्ली ने भी सरकार को पत्र भेजकर पैसे की मांग की है। टाटा पावर ने कहा है कि उसके पास पैसों की तंगी है, इसलिए उसे बिजली बिलों में दी जा रही सब्सिडी की राशि प्रदान की जाए। हालांकि, टाटा पावर ने बीएसईएस की तरह बिजली काटने की धमकी नहीं दी है।

    सरकार को भेजे पत्र में टाटा ने कहा कि सरकार ने कंपनी को पिछले साल अक्टूबर से सब्सिडी का पैसा नहीं दिया है। अक्टूबर से दिसंबर तक का पैसा लगभग 30 करोड़ है। वहीं जनवरी से नई सरकार ने द्वारा घोषित सब्सिडी के लिए मार्च तक लगभग 80 करोड़ रुपये देना चाहिए।

    कंपनी ने सरकार से अपील की है कि उसे लगभग 110 करोड़ रुपये दिए जाएं। सूत्रों के मुताबिक, यह राशि लेने के लिए टाटा पावर ने सरकार से आग्रह किया है। उधर, दिल्ली सरकार के ऊर्जा विभाग के सूत्रों का कहना है कि सरकार कंपनियों को 15 फरवरी तक सब्सिडी का पैसा देने पर विचार कर रही है।

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