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    दोषी नाबालिग पर दो बार मुकदमा नहीं

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    Updated: Mon, 06 Jan 2014 09:47 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी नाबालिग पर दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कानून एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं देता। केंद्र सरकार ने ये बात सोमवार को पीड़िता के माता-पिता की याचिका के जवाब में दाखिल किए गए हलफनामे में कही है। पी

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी नाबालिग पर दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कानून एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं देता। केंद्र सरकार ने ये बात सोमवार को पीड़िता के माता-पिता की याचिका के जवाब में दाखिल किए गए हलफनामे में कही है।

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    पीड़िता के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले में दोषी नाबालिग के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत सामान्य अदालत में मुकदमा चलाए जाने की मांग की। कोर्ट ने उनकी याचिका को भी इसी मसले पर लंबित वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के साथ संलग्न कर दिया था। महिला व बाल विकास मंत्रालय ने दाखिल हलफनामे में कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड मामले की सुनवाई कर अपना फैसला दे चुका है। अब दोबारा मुकदमा नही चलाया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 20 और सीआरपीसी की धारा 300 में दोबारा ट्रायल की मनाही है।

    पीड़िता के परिजनों ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी, जिसमें 18 वर्ष तक के आरोपी पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने की मनाही की गई है चाहे उसने कितना भी संगीन जुर्म क्यों न किया हो। माता-पिता का कहना है कि उन्हें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का गत 31 अगस्त का फैसला स्वीकार्य नहीं है। अपील के लिए कोई और फोरम न होने के कारण वे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रहे हैं। बोर्ड ने नाबालिग को सिर्फ तीन साल की सजा दी है। सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अपनी याचिका में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी है। स्वामी का कहना है कि ट्रायल चलाने के बारे में अपराधी की उम्र के बजाय अपराध के बारे में उसकी समझ के आधार पर निर्णय किया जाना चाहिए।

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