दिल्ली गैंगरेप: चारों आरोपी दोषी, आज हो सकती है सजा
वसंत विहार के चर्चित गैंगरेप मामले में साकेत कोर्ट ने चारों आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह जघन्य अपराध सोची-समझी साज ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। वसंत विहार के चर्चित गैंगरेप मामले में साकेत कोर्ट ने चारों आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह जघन्य अपराध सोची-समझी साजिश का नतीजा था, न कि अचानक हुई घटना। अदालत ने आरोपी मुकेश कुमार, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को 11 धाराओं के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, लूटपाट, गैंगरेप, कुकर्म, सबूत नष्ट करने और अपराध में सामूहिक भागीदारी का दोषी पाया है।
दोषियों की सजा पर बहस बुधवार को होगी और अदालत सजा पर फैसला भी सुना सकती है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि यह अपराध दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और अभियुक्तों के लिए फांसी की सजा की मांग की जाएगी।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने फैसले के महत्वपूर्ण तथ्यों को पढ़ते हुए महज पांच मिनट में फैसला सुना दिया। अदालत ने 237 पेज के फैसले में चारों आरोपियों द्वारा किए गए अपराध का वर्णन, अपराध में उनकी भागीदारी और संलिप्तता को बयान किया है।
16 दिसंबर, 2012 को वसंत विहार इलाके में फिजियोथेरेपिस्ट छात्रा से चलती बस में गैंगरेप किया गया था। पीड़िता की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में बस चालक राम सिंह व उसके भाई मुकेश के साथ विनय, पवन, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है, जबकि बाल न्यायालय नाबालिग को गत 31 अगस्त को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह में भेज चुका है।
सोची समझी साजिश के तहत हत्या
अदालत ने फैसले में कहा कि जिस तरह से अभियुक्तों ने वारदात को अंजाम दिया, उन तथ्यों के आधार पर इस मामले को कोल्ड ब्लडेड मर्डर यानी सोची समझी साजिश के तहत निर्मम हत्या कहना उचित होगा। अभियुक्तों ने दुर्लभ आपराधिक रणनीति के तहत इस अपराध को अंजाम दिया है। उन्होंने पीड़िता व उसके दोस्त को बस में सवारी के रूप में नहीं, बल्कि वारदात को अंजाम देने के लिए बैठाया। यही कारण था कि उन्होंने पीड़िता व उसके दोस्त को बैठाने के बाद बस में अन्य किसी सवारी को नहीं लिया।
मुश्किल था पीड़िता का बचना
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्तों ने पीड़िता को जो जख्म दिए थे, उन्हें इलाज से ठीक कर पाना नामुमकिन था। डॉक्टर की रिपोर्ट से भी साबित हुआ है कि पीड़िता को अमानवीय तरीके से जख्म दिए गए थे। अभियुक्तों के इस अमानवीय व्यवहार के कारण पीड़िता की जान नहीं बची। इस अपराध में सभी की बराबर की भागीदारी थी और यह सब सबूतों और गवाहों के बयानों से साबित हुआ है।
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