भ्रष्टाचार रोकने के लिए सीवीसी की पहल, बाबुओं के खातों पर होगी नजर
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सीवीसी ने अहम पहल की है। सीवीसी अब खुद बाबुओं के बैंक खातों पर नजर रखेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के लिए मोदी सरकार ने एक नया कदम उठाया है। इसके तहत अब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) सरकारी बाबुओं के बैंक खातों की भी पड़ताल करेगा।
मुख्य सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी की पहल के बाद फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआइयू) अब सीवीसी को भी बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन के आंकड़े देगा। अभी तक एफआइयू के आंकड़े सीवीसी को नहीं मिलते थे। सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार रोकने में इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है।
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दरअसल एफआइयू देश भर में किसी भी खाते में हुए 10 लाख रुपये से अधिक की संदिग्ध लेन-देन का आंकड़ा जुटाता और उसे आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों को जांच के लिए देता है। जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद संबंधित खाताधारकों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली देश की शीर्ष संस्था सीवीसी को एफआइयू के इन आंकड़ों को देखने का अधिकार नहीं थी।
मुख्य सतर्कता आयुक्त बनने के बाद केवी चौधरी ने एफआइयू के आंकड़े सीवीसी को भी उपलब्ध कराने की मांग की। उनका कहना था कि सरकारी अधिकारी से जुड़े बैंक खातों की जानकारी मिलने से भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने की उम्मीद बढ़ सकती है। खासकर जिन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत आती है, उनके व उनके परिवार वालों के बैंक खातों में हुई लेन-देन की जांच जरूरी है। इससे आरोपी अधिकारी के खिलाफ पुख्ता सबूत के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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सीवीसी ने एफआइयू को सरकारी अधिकारियों व उनके परिवार वालों के बैंक खातों में लेन-देन के आंकड़े अलग से जुटाने को कहा है। ताकि सीवीसी आसानी से उनकी पड़ताल कर संदिग्ध अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित कर सके।