Move to Jagran APP

एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम योगदान: पीएम मोदी

एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम योगदान है, एग्रीकल्चर के सतत विकास के लिए संस्कृति और परंपरा का योगदान जरूरी है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Nov 2016 09:35 PM (IST)Updated: Sun, 06 Nov 2016 10:08 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत जैव-कृषि विविधता का भंडार है। कृषि जैव विविधता के मामले में भारत बहुत ही समृद्ध है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें गंभीरता से जैव-कृषि संरक्षण पर सोचने की जरूरत है।

loksabha election banner

'एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम रोल'

एग्रीकल्चर में कल्चर का अहम योगदान है, एग्रीकल्चर के सतत विकास के लिए संस्कृति और परंपरा का योगदान जरूरी है। 50 से अधिक प्रजातियां रोजाना खत्म हो रही हैं।

दुनिया को मिलकर विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाना होगा।पीएम ने कहा कि हर एक देश दूसरे देश से कुछ न कुछ सीखता रहता है, और ये सिलसिला निर्बाध गति से जारी रहना चाहिए। आज हमें उन तरीकों को खोजने की जरूरत है जिससे लोगों की आवश्यकता पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना हो सके।

60 देशों के 900 प्रतिनिधि ले रहे हैं हिस्सा

इस सम्मेलन में 60 देशों के 900 प्रतिनिधि जीन संसाधनों के संरक्षण पर विचार विमर्श करेंगे। 9 नवंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन को इंडियन सोसायटी ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज एंड बायोडायवर्सिटी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह सीजीआईएआर का शोध केंद्र है जिसका मुख्यालय इटली के रोम में है।

एस स्वामीनाथन ने क्या कहा ?

कृषि विशेषज्ञ एम एस स्वामीनाथन ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण महत्वपूर्ण हो गया है। हमारे देश में स्थिति संतोषजनक नहीं है। हमें काफी कुछ करना होगा।’ उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हर नागरिक का दायित्व है कि जैव विविधता को संरक्षित किया जाये।’ भारतीय कृषि शोध परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) जे एस संधु ने कहा कि यह सम्मेलन ज्ञान साझेदारी को साझा करने के साथ-साथ ‘जर्म.प्लाज्म’ के आदान-प्रदान का मंच प्रदान करेगा। ‘जर्म.प्लाज्म’ कीटाणु कोशिकाओं का समुच्चय है।

जैव विविधता का भंडार है भारत

आईसीएआर ने कहा कि पहले अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता सम्मेलन के लिए भारत उपयुक्त स्थल है क्योंकि दुनिया में यह सर्वाधिक विविधता वाले देशों में से एक है। दुनिया के भू रकबे का यहां मात्र 2.4 प्रतिशत भाग है। इसके बावजूद यहां सभी ज्ञात प्रजातियों का सात से आठ प्रतिशत हिस्सा मौजूद है जिसमें पौधों की 45,000 प्रजातियां और जीवों की 91,000 प्रजातियां मौजूद हैं।’

पढ़ेंः स्वामीनाथन ने सुझाए पराली जलाने को रोकने के उपाय


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.