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    वहां पीड़ितों के जख्म हरे, यहां अफसरों की जेब

    By Edited By:
    Updated: Wed, 26 Jun 2013 12:41 PM (IST)

    शर्मनाक, असंवेदनहीन और अमानवीय। कुदरत के मारों के मरहम पर गिद्ध दृष्टि डालने के लिए यही शब्द सही रहेंगे। कुदरत के जिन जख्मों पर सरकार आपदा राहत का फौरी मरहम लगाने की कोशिश कर रही है, उस पर सरकार के ही नुमाइंदे झपट्टा मारने से बाज नहीं आ रहे। जानकारी हैरानी होती है कि आपदा राहत की र

    सुमन सेमवाल, देहरादून। शर्मनाक, असंवेदनहीन और अमानवीय। कुदरत के मारों के मरहम पर गिद्ध दृष्टि डालने के लिए यही शब्द सही रहेंगे। कुदरत के जिन जख्मों पर सरकार आपदा राहत का फौरी मरहम लगाने की कोशिश कर रही है, उस पर सरकार के ही नुमाइंदे झपट्टा मारने से बाज नहीं आ रहे।

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    जानकारी हैरानी होती है कि आपदा राहत की राशि (जो पहले 2700 व अब 2000 रुपये है) की बंदरबांट शुरू हो गई है। कितने आपदा पीड़ितों को राशि दी गई, उसे देहरादून तहसील के कार्मिक बिना हस्ताक्षर, घर के पते व फोन नंबर आदि के ही दर्ज कर रहे हैं। यदि किसी पीड़ित का नाम सूची में दर्ज कर दिया जाए और हकीकत में उसे राहत राशि बांटी ही न जाए, तो कोई कुछ नहीं कर सकता।

    देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड पर केदारनाथ, बदरीनाथ व उत्तरकाशी क्षेत्रों में फंसे रहे आपदा पीड़ितों को इसी तरह मनमर्जी बांटी जा राहत राशि की पड़ताल 'दैनिक जागरण' ने की तो कुदरत के मारों के मरहम पर डाके की आश्चर्यचकित करने वाली हकीकत सामने आई। आंध्रप्रदेश के गंटूर क्षेत्र का सात सदस्यीय दल उत्तरकाशी में फंस गया। उन्हें 23 जून को हेलीकॉप्टर से दून हेलीपैड पर लाया गया था। गंभीर यह कि चार सदस्यों को राहत राशि दी ही नहीं गई। इनके नामों के आगे कोई मोबाइल नंबर भी दर्ज नहीं था। दैनिक जागरण ने किसी तरह दल के एक सदस्य नागराज शर्मा का मोबाइल नंबर (09012300092) हासिल किया। पता चला कि शेख शाहिद बाबू व शेख गोविंद मस्तान को राहत राशि दी ही नहीं गई है, जबकि इनके नाम राहत बांटने वाली सूची में दर्ज किए गए हैं। दल के अन्य सदस्यों शेख बाजीदी, शेख हुसैनबी व सुभानी के नाम न तो सूची में हैं, न ही इन्हें कोई आपदा राहत राशि बांटी गई, जबकि सभी को सहस्त्रधारा हेलीपैड पर ही उतारा गया। अब तक इस हेलीपैड पर 80 से अधिक आपदा पीड़ितों को राहत राशि बांटने की जानकारी दर्ज है, मगर 30 फीसद लोगों के नाम के आगे न उनका पूरा पता और न ही फोन नंबर दर्ज हैं। अभी इस हेलीपैड पर करीब एक हजार और पीड़ितों को लाए जाने की संभावना है। ऐसे में इस तरह की अनियमितता नहीं रोकी गई और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो राहत राशि के नाम पर बड़ी राशि डकार ली जाएगी।

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