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    जाधव के खिलाफ केस लड़ने वाले पाकिस्तानी वकील को UPA ने सौंपा था एक केस

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Sun, 21 May 2017 11:46 AM (IST)

    भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि एनरान मामले में खावर कुरैशी ने ही अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की पैरवी की थी।

    जाधव के खिलाफ केस लड़ने वाले पाकिस्तानी वकील को UPA ने सौंपा था एक केस

    नई दिल्ली, एजेंसी। वर्ष 2004 में एनरान मामले में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत के प्रतिनिधित्व के लिए पाकिस्तानी मूल के एक वकील को नियुक्त किया था। फिलहाल जाधव के खिलाफ हेग में पाकिस्तान का वकील खावर कुरैशी ही वह शख्स है जो तब भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा था। तत्कालीन सरकार की इस गफलत पर भाजपा ने अब कांग्रेस पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

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    भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि एनरान मामले में खावर कुरैशी ने ही अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की पैरवी की थी। राव ने कहा कि हमने कई दफा देखा है कि कांग्रेस पाकिस्तान के साथ खड़ी नजर आती है। वह पाकिस्तान के समर्थन में बोलती है। ऐसा हमने सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी देखा जब उन्होंने हमारी सेना पर ही सवाल खडे़ कर दिए।

    भाजपा नेता ने बताया कि वर्ष 2004 में कांग्रेस के केंद्र की सत्ता में आने के बाद जो शुुरुआती कदम उसने उठाए, उसमें अंतरराष्ट्रीय अदालत में मध्यस्थता मामले में भारत की पूरी लीगल टीम को बदलना भी शामिल था। आखिरकार यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस) सरकार ने 2004 में एक पाकिस्तानी वकील को क्यों नियुक्त किया। क्या कांग्रेस को भारतीय वकीलों पर भरोसा नहीं था।

    भाजपा नेता ने कहा कि एनरान मामला भारत के लिए एक बहुत ही संवेदनशील और प्रतिष्ठा का मामला था। इसीलिए यह बात समझ से परे है कि भारत ने कुरैशी को अपने प्रतिनिधित्व के लिए क्यों चुना जबकि देश की छवि और बहुत ब़़डी रकम दांव पर लगी हुई थी।

    उन्होंने कांग्रेस से मांग की कि वह समझाए कि अंतरराष्ट्रीय अदालत में उन्हें किसी भारतीय वकील पर भरोसा न दिखाकर क्यों एक पाकिस्तानी वकील पर विश्वास किया। उल्लेखनीय है कि कुलभूषषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी को वर्ष 2004 में एनरान मामले में भारत का पक्ष रखने के लिए चुना था। दरअसल अमेरिकी कंपनी एनरान ने महाराष्ट्र के दाभोल पावर प्रोजेक्ट मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत सरकार के खिलाफ 6 अरब डॉलर का दावा ठोंका था। इस मामले को बाद में मध्यस्थता से सुलझाया गया था।

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