अखिलेश यादव की 'दोस्ती' में नहीं फंसेगी कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की राहुल गांधी से दोस्ती करने के सियासी दांव से कांग्रेस सतर्क हो गई है।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की राहुल गांधी से दोस्ती करने के सियासी दांव से कांग्रेस सतर्क है। पार्टी का मानना है कि राहुल की किसान यात्रा से उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में कांग्रेस की जमीनी हलचल जितनी बढ़ेगी मुस्लिम वोटों में विभाजन को लेकर सपा की चिंता उतनी ही बढ़ेगी। इसीलिए कांग्रेस ने बिना देर किए सपा से चुनावी गठबंधन की किसी संभावना को नकार दिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहले तीन-चार दिन की यात्रा के दौरान राहुल से संवाद करने आने वालों में मुस्लिम समुदाय की संख्या भी अच्छी खासी है। यात्रा पर निगाह रख रही एजेंसियों ने भी कुछ ऐसी ही मिलती-जुलती बातें बताई हैं। जाहिर तौर पर मुस्लिम समुदाय के कांग्रेस की ओर निहारने भर की चर्चाएं सपा के लिए सियासी चिंता की बात है।
कांग्रेस का आकलन है कि सपा की यह चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि मुस्लिम समुदाय उससे बहुत खुश नहीं है। भाजपा को सत्ता से बाहर रखने की सियासी मजबूरी ही उसे सपा के साथ बांधे हुई है। बसपा पर भी मुसलमानों को पूरा एतबार नहीं है। पार्टी का मानना है कि ऐसे में कांग्रेस यदि मजबूती से चुनावी मुकाबले में उतरती दिखेगी तो सपा से नाराज मुस्लिम वोटों के सबसे ज्यादा उसकी झोली में आने की संभावना है। इसीलिए अखिलेश यादव ने राहुल से 'दोस्ती में बुराई नहीं' का बयान देकर कांग्रेस की राहुल की यात्रा की वजह से बढ़ी सरगर्मी पर पानी फेरने की कोशिश की है। ताकि कांग्रेस मुस्लिम वोटों में सेंध न लगा सके।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने अखिलेश के इसी दांव को पंक्चर करने के लिए गुरुवार को ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की किसी संभावना को खारिज कर दिया। इस बारें में भ्रम की कोई और गुंजाइश न बचे इसलिए पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने शुक्रवार को दुबारा अखिलेश के बयानों को नकार दिया।
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