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    फिर नेहरू-गांधी के सहारे कांग्रेस

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    Updated: Thu, 11 Sep 2014 07:26 AM (IST)

    कांग्रेस में 'ओल्ड गार्ड' 'नई टीम' को लेकर चल रहे आंतरिक संघर्ष के बीच मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए कांग्रेस एक बार फिर गांधी, नेहरू विरासत की शरण में है। पार्टी में सत्ता संघर्ष व राहुल गांधी की लगातार नाकामी के बीच भविष्य की बात करने वाली कांग्रेस अतीत पर दांव लगाने को मजबूर है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस में 'ओल्ड गार्ड' 'नई टीम' को लेकर चल रहे आंतरिक संघर्ष के बीच मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए कांग्रेस एक बार फिर गांधी, नेहरू विरासत की शरण में है। पार्टी में सत्ता संघर्ष व राहुल गांधी की लगातार नाकामी के बीच भविष्य की बात करने वाली कांग्रेस अतीत पर दांव लगाने को मजबूर है।

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    सरकार से लड़ने के लिए मुद्दे तलाश रही पार्टी, कांग्रेस के नेताओं के नाम पर चल रही योजनाओं व योजना आयोग और विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार पर हमले की तैयारी में है। हालांकि, मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने के बाद भी पार्टी के लिए सरकार के खिलाफ खड़ा होना चुनौती बना हुआ है। पार्टी के कई नेता मोदी की खुलकर तारीफ कर रहे हैं।

    दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने तो राहुल की तुलना में मोदी को युवाओं में ज्यादा लोकप्रिय बताकर पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। मोदी सरकार को एकजुट रूप में घेरने में असफल कांग्रेस अब इतिहास के पन्ने खंगाल रही है। मोदी की छवि के बरक्स पार्टी में कोई चेहरा न होने के कारण कांग्रेस इस लड़ाई के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर दांव लगाने की तैयारी में है।

    ऐसे में कांग्रेस नेहरू की 125वीं जयंती को एक मौके के रूप में देख रही है। पार्टी ने इसे साल भर चलने वाले कार्यक्रम के रूप में मनाने व देशभर में राजनीतिक अभियान चलाने का फैसला किया है।

    गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए जो टीम बनाई है, उसमें उनके और राहुल के करीबियों को ही जगह दी गई है। इस टीम में केरल के राज्यपाल का पद छोड़कर आईं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, राज्यसभा में पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा, जयराम रमेश, महासचिव मुकुल वासनिक और राहुल के करीबी मोहन गोपाल हैं।

    सरकार में रहने के दौरान संप्रग ने नेहरू की 125 जयंती कार्यक्रमों के लिए 100 करोड़ का बजट आवंटित किया था।

    अपनी ढपली,अपना राग:

    कांग्रेस संगठन में जगह पाने और राहुल गांधी के प्रति वफादारी दिखाने के चक्कर में पार्टी का अनुशासन तार-तार हो गया है। युवा कांग्रेस मोदी के सौ दिनों को असफल बताते हुए सरकार के मंत्रियों के घरों पर प्रदर्शन करने और राजधानी में रैली करने की तैयारी में हैं, जबकि पार्टी सचिव बैठकों के जरिये उपाध्यक्ष के साथ होने का दम भर रहे हैं।

    वरिष्ठ नेताओं पर सवाल खड़ा कर चुके इन नेताओं ने बैठक कर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अभियान चलाने का फैसला किया है। इस बैठक में संगठन के अनुषांगिक संगठनों को भी बुलाया गया है। हालांकि, मैसेज और फोन करके बुलाई गई इस बैठक को लेकर पार्टी में अफरातफरी है।

    पार्टी महासचिवों व वरिष्ठ नेताओं की बिना जानकारी हो रही इस बैठक में जाने को लेकर अनुषांगिक संगठनों के नेता असहज हैं। इन नेताओं को लगता है कि अगर बैठक में जाते हैं तो कहीं इसे अनुशासनहीनता से न जोड़ दिया जाए।

    उनका यह भी मानना है कि 'टीम राहुल' द्वारा बुलाई गई इस बैठक का बहिष्कार करना भविष्य में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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