गुजरात से उत्साहित कांग्रेस, चिंतित भाजपा
बिहार में नीतीश-लालू के कंधों पर सवार बड़ी जीत हासिल कर चुकी कांग्रेस में गुजरात स्थानीय निकाय के चुनावी नतीजों ने उत्साह भर दिया। दिल्ली-बिहार-गुजरात को एक रुझान बताते हुए कांग्रेस ने ऐलान कर दिया कि अब भाजपा को हर मुहाने पर मुंह की ही खानी पड़ेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में नीतीश-लालू के कंधों पर सवार बड़ी जीत हासिल कर चुकी कांग्रेस में गुजरात स्थानीय निकाय के चुनावी नतीजों ने उत्साह भर दिया। दिल्ली-बिहार-गुजरात को एक रुझान बताते हुए कांग्रेस ने ऐलान कर दिया कि अब भाजपा को हर मुहाने पर मुंह की ही खानी पड़ेगी। दरअसल, अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में केवल असम ही ऐसा राज्य है जहां भाजपा संगठन मजबूत है और वहां सीधा मुकाबला कांग्रेस से ही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ने और पाटीदार आंदोलन के बाद यह पहला स्थानीय निकाय चुनाव है। अब तक भाजपा इनमें से अधिकांश पर चुनाव जीतती रही थी। लेकिन गुरुवार को आए नतीजों में भाजपा ने नगर निगमों पर तो कब्जा किया लेकिन जिला और ग्राम पंचायतों पर कांग्रेस का परचम फहराया। शाम तक के नतीजों के अनुसार 31 में से 21 जिला पंचायतों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। उत्साह दिल्ली तक कांग्रेस में दिखा। प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और रणदीप सुरजेवाला ने कहा- 'हम दिल्ली, बिहार और अब गुजरात में एक रुझान देख रहे हैं, हम आशा करते हैं यह आगे भी चालू रहेगा। हमने मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के ताल्लुका में भी जीत दर्ज की है।'
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जाहिर तौर पर यह भाजपा के लिए चिंता का सबब है। हालांकि, पिछले दिनों में भाजपा को लद्दाख से लेकर मणिपुर तक कुछ सकारात्मक नतीजे मिले हैं। लेकिन गुजरात के नतीजे इसलिए अहम हैं क्योंकि अगले दो साल में वहां चुनाव होने हैं। गुजरात चुनाव के डेढ़ साल बाद फिर से संसद के चुनाव होने हैं। भाजपा नहीं चाहेगी कि गुजरात में पार्टी की पकड़ कमजोर हो। गुजरात मोदी के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है। लिहाजा वहां पार्टी का प्रदर्शन अहम है।

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