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जीडीपी में गिरावट पर हमलावर कांग्रेस ने श्वेत पत्र मांगा

कांग्रेस ने अपने इन दावों को साबित करने के लिए सरकार को अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर श्वेत पत्र लाने की चुनौती भी दी।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 01 Sep 2017 10:04 PM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2017 10:04 PM (IST)
जीडीपी में गिरावट पर हमलावर कांग्रेस ने श्वेत पत्र मांगा
जीडीपी में गिरावट पर हमलावर कांग्रेस ने श्वेत पत्र मांगा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के आर्थिक विकास दर में आयी तेज गिरावट पर अपना हमलावर रुख जारी रखते हुए कांग्रेस ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि जीडीपी लगातार नीचे जा रही है और रोजगार सूख गए हैं और सरकार अपने प्रचार तंत्र की महारथ के सहारे इस जमीनी हकीकत को छिपा रही है। कांग्रेस ने अपने इन दावों को साबित करने के लिए सरकार को अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर श्वेत पत्र लाने की चुनौती भी दी।

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मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी दर में आयी दो फीसद की गिरावट पर आनंद शर्मा ने कहा कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा हकीकत ने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार निकम्मी साबित हुई है और देश की आर्थिक तरक्की की राह को पीछे धकेल दिया है। शर्मा ने कहा कि जीडीपी के ताजा आंकड़ों ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नोटबंदी से विकास दर दो फीसद तक कम होने की आशंका को सही साबित कर दिया है। जीडीपी के आंकड़ों को चिंताजनक बताते हुए शर्मा ने कहा कि विकास दर का मानक बदलने के बावजूद इसमें दो फीसद की गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा नुकसान है। इस आंकड़े को पुराने जीडीपी मानक के हिसाब से देखा जाए तो पहली तिमाही में विकास दर असल में 4.3 फीसद है। उन्होंने कहा कि सरकार चालू वर्ष के अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य का 92 फीसद पहले ही पहुंच चुकी है। ऐसे में अगले सात महीने में वित्तीय घाटा कहां जाएगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

अर्थव्यवस्था की गाड़ी धीमी होने का दावा करने के लिए शर्मा ने निवेश के आंकड़े भी दिए। उनका कहना था कि निवेश यूपीए के 33 फीसद के मुकाबले घटकर 26 फीसद के नीचे आ गया है। उद्योग-कारोबार के लिए बैंकों की ओर से दिया जाने वाला कर्ज 63 साल में सबसे कम स्तर पर है। व्यापार और निर्यात दोनों यूपीए ने जहां छोड़ा था वहां से नीचे आ गया है। शर्मा ने कहा कि देश की औद्योगिक क्षमता का 35 फीसद उपयोग नहीं हो रहा है और इसका साफ मतलब है कि नौकरियां बढ़ना तो दूर कम हुई हैं।

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