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    सोनिया नाराज, अश्विनी और बंसल की कुर्सी जाना तय

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    Updated: Wed, 08 May 2013 07:41 AM (IST)

    कानून मंत्री और रेल मंत्री पर सरकार और संगठन की पिट रही भद पर अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का धैर्य जवाब दे गया। इन दोनों ही घटनाओं से जिस तरह सरकार निपटी और संगठन को भी कथित तौर पर गुमराह किया गया, उससे कांग्रेस अध्यक्ष बेहद नाराज बताई जा रही हैं। सरकार और संगठन अश्विनी कुमार के मुद्दे पर बिल्कुल बंट गए हैं। यद्यपि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभी भी अश्विनी कुमार के बचाव में हैं, लेकिन संकेत हैं कि कर्नाटक के नतीजों के बाद दोनों मंत्रियों को जाना पड़ेगा और अगले कुछ

    नई दिल्ली [राजकिशोर]। कानून मंत्री और रेल मंत्री पर सरकार और संगठन की पिट रही भद पर अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का धैर्य जवाब दे गया। इन दोनों ही घटनाओं से जिस तरह सरकार निपटी और संगठन को भी कथित तौर पर गुमराह किया गया, उससे कांग्रेस अध्यक्ष बेहद नाराज बताई जा रही हैं। सरकार और संगठन अश्विनी कुमार के मुद्दे पर बिल्कुल बंट गए हैं। यद्यपि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभी भी अश्विनी कुमार के बचाव में हैं, लेकिन संकेत हैं कि कर्नाटक के नतीजों के बाद दोनों मंत्रियों को जाना पड़ेगा और अगले कुछ दिनों में ही संगठन में फेरबदल के साथ-साथ संप्रग सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। कर्नाटक के नतीजे अपने पक्ष में मान कर चल रही कांग्रेस का मत है कि संगठन-सरकार में बदलाव के बगैर इस सफलता को सियासी मैदान में वह भुना नहीं सकेगी।

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    दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व मान रहा है कि अश्विनी कुमार और बंसल मसलों की गंभीरता तथा सियासी संवेदनशीलता को समझने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके रणनीतिकार पूरी तरह विफल रहे। इसीलिए कांग्रेस संगठन ने बेहद आक्रामक तरीके से सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ पहले सीबीआइ की रिपोर्ट बदलने के मामले में अश्विनी कुमार और फिर घूस कांड में पवन बंसल का बचाव किया। जबकि सीबीआइ की जांच रिपोर्ट बदलवाने के मामले में फंसे अश्विनी कुमार का प्रधानमंत्री के अलावा कोई समर्थक नहीं था। सरकार के प्रबंधकों ने अश्विनी के जाने के न सिर्फ नुकसान गिनाए, बल्कि यह भी आश्वासन देते रहे कि अदालत में सीबीआइ के हलफनामे के बाद स्थितियां सुधर जाएंगी।

    पवन बंसल के भांजे के घूस कांड में फंसने के बाद संगठन में उनके खैरख्वाह तो तमाम थे, लेकिन सरकारी पक्ष की राय पर निर्भर थे। सरकार की ओर से विश्वास जताया गया कि इस मामले में रेल मंत्री नहीं फंसेंगे। मगर अब उनके भांजे के साथ मंत्री के दफ्तर के अफसरों के फोन कॉल के रिकार्ड सामने आने और सीबीआइ को मिले पुख्ता सुबूतों के बाद कांग्रेस आलाकमान बेहद चिंतित है। पार्टी मान रही है कि जिस तरह से इन दोनों ही मामलों पर विपक्ष ने लड़ाई संसद से बाहर निकालकर सड़क पर ला दी है, उससे निपटने में कांग्रेस को परेशानी होगी। सोमवार की शाम तक कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री को अवगत करा दिया था। सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की सोमवार देर शाम हुई प्रधानमंत्री से मुलाकात को इसी संदर्भ से जोड़ा जा रहा है।

    मंगलवार को सदन में भाजपा के साथ-साथ सपा जैसे सरकार के सहयोगियों ने भी सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोला। लड़ाई संसद से लेकर सड़क तक बेहद उग्र हो गई है। इन हालात पर चर्चा के लिए संसद परिसर में कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, अहमद पटेल, एके एंटनी, पी चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे व कमलनाथ की बैठक हुई। इसमें सोनिया ने पूरे मसले से ठीक से न निपटे जाने पर बेहद तल्ख तेवर दिखाए और पूरे मामले से कड़ाई से निपटने को कहा।

    कर्नाटक में विजय को सुनिश्चित मान रही कांग्रेस को लग रहा है कि सियासी माहौल पलटने की कोशिशों को कुमार-बंसल प्रकरण से धक्का लगेगा। इसलिए कोई कार्रवाई जरूरी है। कर्नाटक विजय पर कांग्रेस की सियासी निर्भरता का मुजाहिरा कमलनाथ ने भी किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के नतीजे बता देंगे कौन भ्रष्टाचारी है। लेकिन नेतृत्व मान रहा है कि इस विजय के साथ ही कड़ी कार्रवाई भी करनी होगी। इसीलिए, अब अगले कुछ दिनों में ही दोनों मंत्रियों की विदाई के साथ ही कांग्रेस संगठन में फेरबदल और मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की भी तैयारियां तेज हो गई हैं।

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