उमर को झटका, शाम लाल ने मंत्रिमंडल से दिया इस्तीफा
सरकारी विभागों में नियुक्त कैजुअल और आवश्यकता अनुरूप कार्यरत 62 हजार कर्मियों की सेवाओं को नियमित करने में हो रही देरी से नाराज कांग्रेस के पीएचई, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री शाम लाल शर्मा ने शुक्त्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बजाय प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रो. सैफुद्दीन सोज को सौंपे अपने इस्तीफे
जम्मू। सरकारी विभागों में नियुक्त कैजुअल और आवश्यकता अनुरूप कार्यरत 62 हजार कर्मियों की सेवाओं को नियमित करने में हो रही देरी से नाराज कांग्रेस के पीएचई, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री शाम लाल शर्मा ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बजाय प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रो. सैफुद्दीन सोज को सौंपे अपने इस्तीफे में वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राथर समेत नेकां के दो मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शाम लाल के इस्तीफे से कांग्रेस-नेकां गठबंधन सरकार के भविष्य पर संकट गहरा गया है।
पीएचई मंत्री शाम लाल शर्मा ने मंत्रिमंडल से अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि हद हो गई है, यहां हर बात में सियासत होने लगी है। हमारे पास साठ हजार से ज्यादा कैजुअल, आवश्यकतानुरूप और दैनिक वेतनभोगी कर्मी हैं। इनमें से कई 20 साल से काम कर रहे हैं। इनकी सेवाओं को नियमित करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस में कुछ लोग इस मुद्दे पर सियासत करने में लगे हैं। कैबिनेट उपसमिति ने गत सप्ताह ही इन लोगों की सेवाओं को नियमित बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मेरी मुख्यमंत्री से तीन दिन पहले बात हुई तो उन्होंने भी यकीन दिलाया कि कैबिनेट उपसमिति की रिपोर्ट को कैबिनेट में मंजूरी दी जाएगी। शाम लाल शर्मा ने कहा कि मैंने कल रात भी वित्तमंत्री और कैबिनेट उपसमिति के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर से इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने मुझे कहा था कि रिपोर्ट जीएडी को भेजी जा चुकी है, लेकिन विभाग को यह रिपोर्ट आज सुबह तक नहीं भेजी गई। मैंने उनसे दोबारा बात की तो उन्होंने कोई उचित जवाब नहीं दिया। उन्होंने नेकां नेताओं पर इस मुददे पर ओछी सियासत का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पार्टी के दो-तीन मंत्रियों का रवैया पूरी तरह नकारात्मक है।
उन्होंने कहा कि अब चुनाव आने वाले हैं, किसी भी समय चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है, फिर यह मामला टल जाएगा। मैं चाहता था कि इस पर कैबिनेट की मुहर लग जाती, लेकिन सरकार में ही बैठे लोग अपनी सियासत के लिए रोड़ा अटका रहे हैं। ऐसे हालात में इस्तीफा देना ही बेहतर है। मैंने कैजुअल कर्मियों से वादा किया था कि अगर उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई तो इस्तीफा दूंगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बजाय प्रो. सोज को अपना इस्तीफा सौंपने पर तर्क देते हुए शाम लाल शर्मा ने कहा कि मैंने शाम साढ़े सात बजे इस्तीफा दिया है। उस समय मुख्यमंत्री न अपने निवास पर थे और न कार्यालय में। इसके अलावा हम गठबंधन सरकार में हैं, इसलिए मुझे अपना इस्तीफा पार्टी प्रमुख को सौंपना था। अब इस पर अंतिम फैसला प्रो. सोज लेंगे और वही इसे आगे मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे।
इससे पूर्व नागरिक सचिवालय में बड़ी संख्या में दैनिक वेतनभोगियों और कैजुअल कर्मियों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। ये लोग अपनी सेवाओं को नियमित बनाने में हो रही देरी से उत्तेजित थे। इनमें से कइयों ने उच्च शिक्षामंत्री मुहम्मद अकबर लोन के कक्ष के बाहर जाकर भी नारेबाजी की। नारेबाजी कर रहे कुछ दैनिक वेतनभोगियों ने बताया कि उच्चशिक्षा मंत्री ने कथित तौर पर कहा है कि जब तक उनके इलाके के कुछ खास लोगों को कैबिनेट उपसमिति की रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जाता, वह किसी की भी सेवा नियमित नहीं होने देंगे। इसके कारण ही आज इस मुद्दे पर होने वाली बैठक नहीं हो पाई। इस संदर्भ में जब उच्चशिक्षा मंत्री से संपर्क किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
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