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कोयला घोटाले में पीएम से पूछताछ होना तय

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब तक कोयला घोटाले की आंच से बचते रहे थे, लेकिन अब नहीं लगता कि वह ज्यादा दिन तक पूछताछ की अग्नि परीक्षा से बच पाएंगे। हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बाद प्रधानमंत्री से पूछताछ होना पक्का माना जा रहा है। अब सीबीआइ उनसे पूछताछ के बिना केस बंद भी न

By Edited By: Published: Mon, 21 Oct 2013 06:02 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2013 06:04 AM (IST)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब तक कोयला घोटाले की आंच से बचते रहे थे, लेकिन अब नहीं लगता कि वह ज्यादा दिन तक पूछताछ की अग्नि परीक्षा से बच पाएंगे। हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बाद प्रधानमंत्री से पूछताछ होना पक्का माना जा रहा है। अब सीबीआइ उनसे पूछताछ के बिना केस बंद भी नहीं कर सकती है। वहीं, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ एफआइआर पर चौतरफा हमले ने सीबीआइ को बैकफुट पर ला दिया है। जांच एजेंसी बिड़ला पर एफआइआर के लिए कोयला घोटाला मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी को जिम्मेदार ठहरा रही है। सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ 22 अक्टूबर को कोयला घोटाला मामले की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप देगी।

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पढ़ें: कोयला घोटाला: पीएम के बचाव में उतरी सरकार

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालत की फटकार के डर से कई बार कम सुबूतों के बावजूद एफआइआर दर्ज कर ली जाती है। उन्होंने स्वीकार किया कि हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए तत्कालीन कोयला सचिव पीसी पारेख को रिश्वत या अन्य लाभ पहुंचाने का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन यह भी सच है कि पारेख ने स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले के बदलते हुए आवंटन का अनुमोदन किया था। यह पद का दुरुपयोग कर किसी को अनुचित लाभ पहुंचाने की श्रेणी में आता है। एफआइआर के लिए ये शुरुआती सबूत काफी हैं और जांच अधिकारियों ने यही किया। उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट की निगरानी नहीं होती, तो इतने कम सुबूतों के आधार पर मामला दर्ज नहीं होता। एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ के पास वापस लौटने का रास्ता बंद हो गया है। केस बंद करने के लिए भी एजेंसी को पहले पीएम से पूछताछ करनी पड़ेगी।

गौरतलब है कि शनिवार को प्रधानमंत्री ने पूरी जिम्मेदारी लेते हुए हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के फैसले को सही ठहराया था। प्रधानमंत्री से पूछताछ के बाद सीबीआइ ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट तो लगा सकती है, जिसकी संभंावना ज्यादा है, लेकिन क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करना या न करना ट्रायल कोर्ट के हाथ में है। गौरतलब है कि आरुषि केस में सुबूतों के अभाव में सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन गाजियाबाद के ट्रायल कोर्ट ने उसे चार्जशीट में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट 29 अक्टूबर को कोयला घोटाले की सुनवाई करेगा। इसके पहले सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करेगी, जिसमें बिड़ला के खिलाफ एफआइआर के बारे में विस्तृत जानकारी होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया देखने के बाद ही आगे की कार्रवाई की दिशा तय की जाएगी।

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