Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जजों की कमी से न्याय पाने के अधिकार को खतराः मुख्य न्यायाधीश

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Sun, 10 Apr 2016 10:10 AM (IST)

    देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) टीएस ठाकुर ने हाईकोर्टों के जजों की जल्द नियुक्ति पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी

    Hero Image

    हैदराबाद। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) टीएस ठाकुर ने हाईकोर्टों के जजों की जल्द नियुक्ति पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। इस साल जजों के रिक्त पदों की संख्या बढ़कर 500 होने की संभावना है। न्यायपालिका पहले से ही इसको लेकर दबाव में है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जस्टिस ठाकुर ने कहा कि सरकार ने पूर्व प्रक्रिया (कोलेजियम प्रणाली) के तहत नियुक्ति प्रक्रिया को जारी रखने की इच्छा जताई है। 130 जजों की नियुक्ति का मामला कानून मंत्रालय के समक्ष है। सीजेआइ शनिवार को राज्य न्यायिक सेवा अधिकारियों के 14वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) संबंधी संविधान संशोधन को चुनौती को लेकर नियुक्ति प्रक्रिया में कुछ देरी हुई। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि इस मामले के निपटारे के बाद कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने उनसे पूर्व प्रक्रिया के तहत नियुक्ति की इच्छा जताई। हमने तुरंत इससे सहमति जताई। इसके बाद छह हफ्ते के अंदर हमने 163 नामों को मंजूरी दी।

    इन सिफारिशों के तहत करीब 90 स्थायी जज और हाईकोर्टों के करीब 40 नए जजों की नियुक्ति की गई। जबकि अन्य पाइपलाइन में हैं।


    उन्होंने कहा कि हाईकोर्टों में अभी जजों के करीब 450 पद रिक्त हैं और इस साल 50 और रिक्त होने के बाद यह संख्या 500 हो जाएगी। नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों ने करीब 130 नामों की सिफारिश की है जो कानून मंत्रालय के पास है। उन्होंने विश्वास जताया कि कानून मंत्री इस पर कार्रवाई करेंगे।

    सीजेआइ ने कहा कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सभी नागरिकों को न्याय उनका मूल अधिकार मानता है। अगर आप जजों की नियुक्ति नहीं करेंगे तो आप लोगों को उनके मूल अधिकार से वंचित करेंगे और यह एकदम स्वीकार्य नहीं है।


    उन्होंने कहा कि एक प्रमुख चुनौती गरीबों तक न्याय पहुंचाने की है। देश में आज 40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। ये लोग अपने अधिकारों से अनजान हैं। उन्हें उनके अधिकारों से परिचित कराना ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।