मोदी के हमले से परेशान केंद्र ने चिदंबरम को मैदान में उतारा
सरकार की अर्थनीति पर भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के बढ़ते हमले से परेशान केंद्र सरकार ने बचाव के लिए सीधे वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को मैदान म ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार की अर्थनीति पर भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के बढ़ते हमले से परेशान केंद्र सरकार ने बचाव के लिए सीधे वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को मैदान में उतार दिया है। एक तरफ जहां देश की जनता बढ़ती महंगाई से दबी जा रही है और उद्योग जगत निवेश से कतरा रहा है, वहीं चिदंबरम को अर्थव्यवस्था में सिर्फ सुधार के लक्षण ही दिख रहे हैं। हालांकि, इन संकेतों के बावजूद वित्त मंत्री भरोसे से यह दावा नहीं कर पा रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर पांच फीसद से ज्यादा रहेगी।
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अप्रत्याशित तौर पर शुक्रवार को बुलाई गई प्रेस कांफ्रेस में चिदंबरम से जब पूछा गया कि मोदी ने संप्रग की आर्थिक नीतियों की जोरदार निंदा की है, तो उनका जवाब था, 'मुझे खुशी है कि मोदी भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सीख रहे हैं। उन्हें देश की अर्थंव्यवस्था के बारे में अभी बहुत कुछ सीखना होगा, लेकिन इसे सीखने के साथ ही उन्हें बहुत कुछ भूलना भी होगा।' मोदी महंगाई और पहले 100 दिन के लिए तय लक्ष्यों को अब तक पूरा नहीं करने का सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं। प्याज के मुद्दे पर भी मोदी ने केंद्र की मुस्तैदी पर सवाल उठाए थे। लिहाजा, चिदंबरम को खुद सामने आकर अर्थव्यवस्था के तमाम क्षेत्रों से मिलने वाले सकारात्मक संकेतों के बारे में बताना पड़ा। आठ बुनियादी उद्योगों में सितंबर, 2013 में 8 फीसद की वृद्धि हुई है। खासतौर पर बिजली, कोयला और सीमेंट उद्योगों में तेज वृद्धि बताती है कि औद्योगिक गतिविधियां बढ़ी हैं। इसी तरह निर्यात में सितंबर के दौरान 11.15 फीसद वृद्धि हुई। इस दौरान आयात में 18 फीसद कमी आई है। इससे चालू खाते में घाटा (देश में विदेशी मुद्रा के आने व यहां से बाहर जाने का अंतर) निर्धारित 70 अरब डॉलर से सुधरकर 60 अरब डॉलर होने की उम्मीद बन गई है। इससे राजकोषीय घाटे को भी काबू में करने में मदद मिलेगी।
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