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    फिर से बहुरेंगे लैंडलाइन के दिन

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Tue, 04 Nov 2014 07:02 AM (IST)

    लैंडलाइन फोन याद है ना...? कभी आम घरों में शान से ड्राइंग रूम और बेडरूम में रखा जाने वाला यह फोन मोबाइल युग में गायब सा हो गया है। हालांकि रोजमर्रा ज ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली, [नितिन प्रधान]। लैंडलाइन फोन याद है ना...? कभी आम घरों में शान से ड्राइंग रूम और बेडरूम में रखा जाने वाला यह फोन मोबाइल युग में गायब सा हो गया है। हालांकि रोजमर्रा जिंदगी की बदलती जरूरतों के मद्देनजर सरकार ने अब लैंडलाइन फोन को भी नए अवतार में पेश करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए कॉर्डलेस फोन की रेंज बढ़ाने के उपाय किए जा रहे हैं ताकि आप अपने घर ही नहीं बल्कि उससे बाहर निकल कर आवासीय सोसाइटी के अहाते में भी बात कर सकेंगे।

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    लैंडलाइन पर इस्तेमाल होने वाले कॉर्डलैस फोन की उपयोगिता बढ़ाने के लिए सरकार इसके लिए जरूरी स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी में बदलाव करने जा रही है। अभी कॉर्डलेस फोन का उपयोग 2.4 गीगाहट्र्ज या इससे अधिक की फ्रीक्वेंसी वाले स्पेक्ट्रम पर होता है। हाई फ्रीक्वेंसी होने की वजह से कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल का क्षेत्र सीमित हो जाता है। इसलिए सरकार अब इन फोनों के लिए निचली फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम के आवंटन पर विचार कर रही है। शुक्रवार को होने वाली दूरसंचार आयोग की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार होने की संभावना है।

    सूत्र बताते हैं कि सरकार का इरादा कॉर्डलेस फोन के लिए 1800-1900 मेगाहट्र्ज का स्पेक्ट्रम जारी करने का है। इसका फायदा यह होगा कि कॉर्डलैस फोन के इस्तेमाल की दूरी बढ़ जाएगी। लोग घर से बाहर निकलकर थोड़ा दूर तक कॉर्डलेस फोन के जरिये लैंडलाइन का इस्तेमाल कर पाएंगे। केंद्र सरकार इसके लिए कुल 20 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम जारी करने पर विचार कर रही है।

    कॉर्डलेस फोन का दायरा बढऩे से लैंडलाइन फोन के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहन मिलेगा। जानकारों का मानना है कि मोबाइल फोन पर ट्रैफिक अधिक होने से सेवाओं की गुणवत्ता पर काफी फर्क पड़ा है। न केवल कॉल ड्राप के मामले बढ़े हैं, बल्कि खराब सिग्नल के चलते कनेक्टिविटी की समस्या भी आम होती जा रही है।

    सरकार को इन परिस्थितियों में लैंडलाइन फोन के विकास की संभावनाएं नजर आ रही हैं। संचार मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि खुद संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद लैंडलाइन फोन को बढ़ावा दिए जाने के हक में हैं। इससे भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) में भी फिर से जान फूंकी जा सकेगी। देश में लैंडलाइन फोन का सबसे बड़ा नेटवर्क सरकारी क्षेत्र की इन्हीं दोनों कंपनियों के पास है।

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