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    कावेरी मामले में जमीनी हालात पर फैसला करेगा सुप्रीम कोर्ट

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    Updated: Tue, 04 Dec 2012 09:56 PM (IST)

    नई दिल्ली। कावेरी जल बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी रहे। कर्नाटक सरकार ने पानी छोड़ने की तमिलनाडु की मांग को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि अदालत को भावनाओं में बहकर फैसला नहीं लेना चाहिए। तीखी बहस के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि वह कावेरी नदी के जल और सिंचाई के जमीनी हालात के आधार पर फैसला लेगा।

    नई दिल्ली। कावेरी जल बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी रहे। कर्नाटक सरकार ने पानी छोड़ने की तमिलनाडु की मांग को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि अदालत को भावनाओं में बहकर फैसला नहीं लेना चाहिए। तीखी बहस के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि वह कावेरी नदी के जल और सिंचाई के जमीनी हालात के आधार पर फैसला लेगा।

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    इससे पहले जस्टिस डीके जैन और जस्टिस मदन बी लोकुर की खंडपीठ के समक्ष तमिलनाडु ने कर्नाटक पर उसके हिस्से का पानी हड़पने का आरोप लगाया। इसका प्रतिवाद करते हुए कर्नाटक सरकार के वकील अनिल दीवान ने कहा कि तमिलनाडु की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि उसने कावेरी निगरानी समिति और कावेरी नदी प्राधिकरण को चुनौती देने के बजाय याचिका दायर कर दी। उन्होंने तर्क दिया कि तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ा गया तो कर्नाटक के किसान परेशानी में होंगे। सिर्फ एक टीएमसी फीट पानी छोड़ने से हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाएगी। तमिलनाडु ने कर्नाटक पर उसके हिस्से का कावेरी नदी का पानी की हथियाने का आरोप लगाया।

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