जानिए क्या है कावेरी जल विवाद, क्यों जल रहा है बेंगलुरू और कर्नाटक
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कर्नाटक को 20 सितंबर तक हर दिन तमिलनाडू को 12 हजार क्यूसेक पानी देना होगा। ...और पढ़ें
नई दिल्ली। कावेरी जल विवाद को लेकर बेंगलुरू जल रह हा है। राज्यभर में हिंसक प्रदर्शन हो रहा है। 15 हजार से ज्यादा जवानों को लगाया गया है। आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि कावेरी जल विवाद क्या है?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला पलटते हुए कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वो 20 सितंबर तक 12 हजार क्यूसेक पानी प्रतिदिन तमिलनाडू को देगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक में हिंसक प्रदर्शन हो रहा है। आपको बताते हैं इस हिंसा से जुड़ी दस बड़ी बातें।
1. कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागू जिले से होता है जोकि तमिलनाडू से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। कावेरी बेसिन के अंतर्गत तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश पुंदुचेरी के कुछ हिस्से आते हैं।
2. कावेरी नदी जल विवाद पर कानूनी शुरूआत 1892 और 1924 को हुए समझौतों की वजह से हुई जोकि मैसूर के राजपरिवार और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच हुर्ई थी। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद केंद्र सरकार ने 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल का गठन किया।
3. साल 2007 में ट्रिब्यूनल ने अपने अंतिम फैसला देते हुए कहा कि तमिलनाडू को 419 टीएमसीएफटी पानी मिलना चाहिए, कोर्ट ने जो आदेश दिया है, ये उसका दोगुना है यही वजह है कि कर्नाटक इस आदेश से संतुष्ट नही है।
4. 2007 के आर्डर से पहले तलिमनाडू ने 562 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि कावेरी बेसिन में मौजूद पानी का तीन चौथाई हिस्सा था। वहीं कर्नाटक ने 465 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि उपलब्ध पानी का दो तिहाई हिस्सा था।
5. इस साल अगस्त में तमिलनाडू सरकार ने कहा कि कर्नाटक ने 50,0052 टीएमसीएफटी पानी कम छोड़ा है। वही कर्नाटक सरकार ने कहा कि वो कावेरी का और पानी तमिलनाडू को नहीं दे सकते क्योंकि कम बारिश की वजह से पानी का रिजर्व आधा है।
6. पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 10 दिनों तक 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडू को देने का आदेश दिया। यहीं से कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। किसानों का कहना है कि उनके खुद के खेतों के लिए पानी पूरा नहीं पड़ रहा है।
7. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि 15 हजार क्यूसेक पानी रोज छोड़ने का फैसला पूरी तरह राज्य को पानी से वंचित करने जैसा है। उन्होंने ये भी कहा कि पानी की कमी राज्य के आईटी सैक्टर को भी प्रभावित कर सकती है।
8. सोमवार को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि वो तमिलनाडू को कावेरी का पानी देने के आदेश को वापस ले ले। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वापस लेने से मना कर दिया।
9. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कर्नाटक को 20 सितंबर तक हर दिन तमिलनाडू को 12 हजार क्यूसेक पानी देना होगा।
10 इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वार उसके आदेश का पालन ना करने पर नाखुशी भी जताई। कोर्ट ने कहा कि देश के नागरिक और कार्यपालिका को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट ने कोई आदेश दिया है तो या तो उसका पालन करें और या फिर उसमें बदलाव के लिए कोर्ट में याचिका दायर करें। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि लोग कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं।

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